यम पंचक कहा गया है इन पांच पर्वों को, क्या है इन को मनाने की विधि व समय

धनतेरस-नरक चतुर्दशी लक्ष्मीपूजन-गोवर्धन पूजा और भाई-दूज का शुभ मुहूर्त और पूजा विधान

यम पंचक कहा गया है इन पांच पर्वों को, क्या है इन को मनाने की विधि व समय

दीपावली रौशनी और रौनक का पर्व है। पांच दिवसीय इस पर्व का ना केवल सामाजिक महत्व है बल्कि पौराणिक महत्व भी है। इस पर्व को लेकर भारत के हर प्रांत और क्षेत्र में कई तरह की धारणाएं हैं किंतु मूल रूप से इस पर्व के शास्त्रीय और पौराणिक महत्व को मान्यता है। ज्योतिषीय विधान और धार्मिक परंपरा के अंतर्गत कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक लगातार 5 पर्व होते हैं। शास्त्रों में इन पांच दिनों को यम पंचक कहा गया है। इन पांच दिनों में यमराज, वैद्यराज धन्वंतरि, लक्ष्मी-गणेश, हनुमान, काली और गोवर्धन पूजा का विधान है।

10 नवंबर को धनतेरस, होगा दीपपर्व का आरंभ  

दीप का आरंभ धनतेरस से होता है। यह पर्व धन, सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि के पर्व के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाने वाला यह पर्व विशेष और शुभ मुहूर्त में शुभ वस्तुओं की खरीदारी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सोना और बर्तन खरीदने का विशेष महत्व है। इस बार धनतेरस कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को दोपहर 12.35 बजे से 11 नवंबर को दोपहर 01:57 बजे तक रहेगी। ऐसे में धनतेरस का त्योहार 10 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन का मुख्य संबंध यमराज की आराधना से है। आयुर्वेद के प्रवर्तक धनवंतरि की जयंती भी इसी दिन होती है। यम दीप जलाना इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण है। शाम को यमराज के निमित्त दीप जलाकर घर के दरवाजे के बाहर रखना चाहिए। इस दिन लक्ष्मी पूजन की परंपरा भी है। लोक मान्यता के अनुसार इस दिन स्वर्ण या रजत मुद्राएं अथवा बर्तन खरीदना शुभ होता है।

11 नवंबर को नरक चतुर्दशी 

नरक चतुर्दशी को नरका चौदस और हनुमान जयंती के रूप में भी लोकप्रिय और प्रतिष्ठा प्राप्त है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर होगा।

नरक चतुर्थी का खास महत्व रूप और सौंदर्य से जुड़ता है। मान्यता है कि इस दिन देह को उबटन और सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री  से निखारा जाता है। इस दिन प्रात: काल स्नान की परंपरा है। इस बार उदया तिथि को देखते हुए नरक चतुर्दशी 12 नवंबर को मनाई जा रही है। इसी दिन बड़ी दिवाली भी है। हालांकि जो लोग मां काली, हनुमान जी और यमदेव की पूजा करते हैं। वे 11 नवंबर को नरक चतुर्थी यानी छोटी दिवाली का पर्व मनाएंगे।

-शास्त्रीय मान्यताओं के इस दिन शाम को चार बातियों वाला दीपक घर के बाहर कूड़े के ढेर पर जलाना चाहिए।

-दीपक पुराना होना चाहिए। मान्यता यह है कि स्थान चाहे कोई भी हो शुभता हर जगह है। समय विशेष पर उसका महत्व होता है। इस क्रिया से पूर्व प्रातकाल सरसों का तेल और उपटन लगाकर स्नान करना चाहिए।

-नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय के पूर्व शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करने की प्रक्रिया को अभ्यंग स्नान कहा जाता है।

-इस बार अभ्यंग स्नान का समय 12 नवंबर 2023 को सुबह 05 बजकर 28 मिनट से 06 बजकर 41 मिनट तक है।

12 नवंबर की दीपावली, लक्ष्मीपूजन का शुभ मुहूर्त 

भारत के सबसे बड़े महापर्व के रूप में दीपावली मनाई जाती है। सनातनी परंपरा में भी रात में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्वों में से यह एक है। विशेष रूप से शिवरात्रि, होलिका दहन, शरद पूर्णिमा की भांति ही दीपावली में भी संपूर्ण रात्रि जागरण का विधान है। इस साल दीपावली 12 नवंबर, रविवार के दिन पड़ रही है। ऐसा माना जाता है कि दीपावली पर मां लक्ष्मी का पृथ्वी पर आगमन होता है, इसलिए इस दिन शाम के समय घर के द्वार खुले रखे जाते हैं। दीपावली के शुभ दिन पर लक्ष्मी-गणेश जी के साथ-साथ धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है। दीपावली (कालरात्रि) वह निशा है जिसमें तंत्र साधकों के लिए सर्वाधिक अवसर होते हैं।

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 12 नवंबर रविवार को दोपहर 02:44 बजे से शुरू हो जाएगी और 13 नवंबर सोमवार को दोपहर 02:56 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के आधार पर कार्तिक अमावस्या तो 13 नवंबर को होगी, लेकिन अमावस्या तिथि में प्रदोष काल 12 नवंबर को प्राप्त हो रहा है, 13 नवंबर को प्रदोष काल के समय शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। इस वजह से इस साल दीपावली का त्योहार 12 नवंबर को मनाया जाएगा।

प्रदोष काल का मुहूर्त

प्रदोष काल 12 नवंबर 2023 को सायं काल 17:11 से 19:39 बजे तक रहेगा, जिसमें वृषभ काल (स्थिर लग्न) 17:22 बजे से 19:19 बजे तक रहेगा। लक्ष्मी पूजा का प्रदोष काल का मुहूर्त का समय सायं काल 17:11 बजे से सायं काल 19:39 बजे तक रहेगा। 

निशीथ काल का शुभ पूजा मुहूर्त

श्री महालक्ष्मी पूजा के लिए यह निशीथ काल मुहूर्त भी अच्छा माना जाता है जोकि रात्रि 11:39 बजे से रात्रि 12:30 बजे तक रहेगा। यह अवधि लगभग 52 मिनट की होगी।

14 नवंबर को गोवर्धन पूजा, पूजन विधान और शुभ मुहूर्त 

गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को करते हैं। इस दिन गोवर्धन पर्वत, भगवान श्रीकृष्ण और गो माता की पूजा करने का विधान है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने देवताओं के राजा इंद्र के अहंकार को तोड़ा था। गोवर्धन पूजा के दिन को भगवान श्रीकृष्ण की जीत के रूप में भी मनाते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट मनाते हैं। 

इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 13 नवंबर दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से प्रारंभ हो रही है। इस तिथि का समापन 14 नवंबर दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर गोवर्धन पूजा 14 नवंबर मंगलवार को होगी।

14 नवंबर को भाई दूज, पूजन विधान और शुभ मुहूर्त  

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाई दूज की पूजा का शुभ मुहूर्त 14 नवंबर 2023 को दोपहर 02:37 बजे से दोपहर 03:19 बजे तक है। इस साल भाई दूज के पर्व पर इस बार शोभन योग भी निर्मित हो रहा है, जो काफी शुभ माना जा रहा है। हिंदू ज्योतिष में उदया तिथि का भी विशेष महत्व है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, भाई दूज पर्व 15 नवंबर को भी मनाया जा सकता है।

यह पर्व रक्षाबंधन के भी पहले से सनातनी समाज का हिस्सा रहा है। स्कंद पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण दोनों में ही इसकी महत्ता का वर्णन है। इस दिन प्रत्येक भाई का दायित्व है कि वह विवाहित बहन के घर जाए। उसके हाथ का पका भोजन ग्रहण कर सामर्थ के अनुसार द्रव्य, वस्त्रत्त्, मिष्ठान्न आदि भेंट करें। यदि बहन अविवाहित और छोटी है तो उसकी इच्छानुसार भेंट दे। इसी दिन कायस्थ समाज चित्रगुप्त पूजन भी करता है।