बच्चों को बिगाडऩे में देते माता-पिता भी साथ, न करें बेवजह की तारिफें

उनके लिए अच्छे शब्दों का प्रयोग कर देते हैं, जिसके कारण उनके ऊपर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है

बच्चों को बिगाडऩे में देते माता-पिता भी साथ, न करें बेवजह की तारिफें

आज के इस समय में बच्चे अधिक माइंडिड, चतुर व समझदार तो हैं पर उनकी इन सभी बातों को उनको हम इस तरह से बार-बार पेश करते हैं कि वो ओवर होकर बिगडऩे लगते हैं और फिर अपने ही परिवार के सभी सदस्यों से बहुत दूर होते जा रहे हैं। कभी-कभी हम जरूरत से ज्यादा ही तारीफ कर देते हैं और उनके लिए अच्छे शब्दों का प्रयोग कर देते हैं, जिसके कारण उनके ऊपर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है और वो बिगडऩे लग जाते हैं। इस पर सभी माता-पिता को ध्यान में रखना चाहिए कि वो क्या करें और क्या न करें इसके बारे में हम आपको पूरी तरह से बताएंगे।

इन बातों को ध्यान में रखकर करें तारीफ

हमेशा माता-पिता को बच्चों के उस काम की तारीफ करना चाहिए, जिससे आप और सराहना चाहते हैं। बच्चों के सामने इतनी तारीफ करें कि उसका कॉन्फिडेंस बड़े ना कि ओवर कॉन्फिडेंस. ऐसे में सबसे अच्छा तरीका है कि आप बच्चे की काम की तारीफ करें। बच्चों की कुछ आदतें ऐसी होती हैं जो समय के साथ बदलने लगते हैं जैसे पढ़ाई की तरफ रुचि, शांत व्यवहार, व्यवहार में कठोर, ईमानदार, पढ़ाकू आदि ऐसे में माता-पिता इन बातों को लेकर किसी के सामने बच्चे की तारीफ ना करें. उदाहरण के तौर पर बच्चों को रिश्तेदारों और दोस्तों के सामने ‘ज्यादा अच्छा’ ‘ज्यादा शांत’ ‘ज्यादा प्यार’ ‘ज्यादा ईमानदार’ ‘ज्यादा पढ़ा लिखा आदि शब्दों का प्रयोग ना करें. ये चीजें समय रहते बदल सकती है।

किसी के सामने बच्चे की झूठी तारीफ नहीं करनी चाहिए. झूठी तारीफ न केवल बच्चों का मनोबल जरूर से ज्यादा बढ़ा देती है बल्कि बच्चों के मन में यह बात आ जाती है कि वह कोई भी कम करें माता-पिता तो उसकी तारीफ ही करेंगे।

बच्चों की कभी भी तुलनात्मक तारीफें भी नहीं करनी चाहिए. कभी-कभी माता-पिता बच्चों के सामने दूसरे बच्चे की तुलना करके तारीफ करते हैं. इस प्रकार की बातें बच्चों के मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं. ऐसे में ऐसी बातों को करने से भी बचें।