लघुकथा - पत्नी

पत्नी को लेटा हुआ देखकर राहुल बोला - क्या सारा दिन बैड तोड़ती रहती हो, कभी बिस्तर छोड़ भी दिया करो।

लघुकथा - पत्नी

लघुकथा - पत्नी

पत्नी को लेटा हुआ देखकर राहुल बोला - क्या सारा दिन बैड तोड़ती रहती हो, कभी बिस्तर छोड़ भी दिया करो। 

बड़बड़ाते हुए राहुल का सीढ़ी से पैर फिसल गया। गिरने की आवाज सुनते ही रजनी रजाई फेंककर दौड़ते हुए राहुल के पास आई। सहारा देकर कुर्सी पर बैठाते हुए वह राहुल की मरहम पट्टी कर रही थी और राहुल, अपने व्यवहार पर शर्मिंदा था। 

लघुकथा - जैकेट 

अभि! देखो तुम्हारे लिए मम्मा क्या लेकर आई है। 

अभि - जैकेट देखते हुए, मम्मा! बहुत अच्छी है। 

मम्मा - क्या? मम्मा या जैकेट... 

अभि - दोनों... और मम्मा के गले लग जाता है।

अगले दिन अभि कॉलेज से आ रहा था कि तभी ठंड से ठिठुरता हुआ एक भिखारी उसके सामने आकर बोला - बेटा ठंड बहुत है, कपड़ों के लिए कुछ पैसे दे दो। 

ठंड से कांपते हुये भिखारी को अभि ने नई जैकेट उतारकर दे दी। भिखारी के चेहरे की चमक देखकर अभि को जो खुशी अनुभव हो रही थी वह मम्मा से जैकेट मिलने से भी अधिक थी। 

कथाकार / कवि

डॉ उमेश प्रताप वत्स 

Umeshpvats@gmail.com

#14 शिवदयाल पुरी, निकट आइटीआइ

यमुनानगर, हरियाणा 

9416966424