महाराष्ट्र शिवाजी की मूर्ति गिरने के मामले में हुई बड़ी कार्रवाई, आरोपी कंसल्टेंट गिरफ्तार

पाटिल को गिरफ्तार करने के लिए कोल्हापुर क्राइम ब्रांच और मालवन पुलिस ने ज्वॉइंट ऑपरेशन चलाया था, जिसके बाद आरोपी की गिरफ्तारी हुई है।

महाराष्ट्र शिवाजी की मूर्ति गिरने के मामले में हुई बड़ी कार्रवाई, आरोपी कंसल्टेंट गिरफ्तार

महाराष्ट्र :  सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के मामले में हुए बड़े बवाल के बाद शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई हुई है। पुलिस ने मामले की पहली गिरफ्तारी की है। पुलिस ने कोल्हापुर के स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट को गिरफ्तार किया है। इस मामले में ये बड़ा कदम है। आरोपी चेतन पाटिल को कोल्हापुर क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है। पाटिल को गिरफ्तार करने के लिए कोल्हापुर क्राइम ब्रांच और मालवन पुलिस ने ज्वॉइंट ऑपरेशन चलाया था, जिसके बाद आरोपी की गिरफ्तारी हुई है। आरोपी मालवन पुलिस के पास है।

कोल्हापुर पुलिस अधीक्षक महेंद्र पंडित का कहना है कि चेतन पाटिल को बृहस्पतिवार 29 अगस्त की देर रात हिरासत में लिया गया था। इसके बाद उससे पूछताछ की गई। पूछताछ करने के लिए आरोपी को सिंधुदुर्ग पुलिस को सौंप दिया गया। सिंधुदुर्ग पुलिस ने बताया कि पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया है। कोल्हापुर के रहने वाले पाटिल ने बुधवार को दावा किया था कि वह इस परियोजना के लिए संरचना सलाहकार नहीं थे। मामले से जुड़ी प्राथमिकी में पाटिल को कलाकार जयदीप आप्टे के साथ नामजद किया गया। 

मराठी समाचार चैनल ‘एबीपी माझा’ से बातचीत में पाटिल ने कहा था कि उन्होंने राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के माध्यम से भारतीय नौसेना को मंच का डिजाइन सौंपा था, लेकिन उनका प्रतिमा से कोई लेना-देना नहीं था। पाटिल ने कहा था, “ठाणे स्थित एक कंपनी ने प्रतिमा से जुड़ा काम किया। मुझसे सिर्फ उस मंच पर काम करने के लिए कहा गया था, जिस पर प्रतिमा खड़ी की जानी थी।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल चार दिसंबर को नौसेना दिवस के मौके पर सिंधुदुर्ग की मालवण तहसील स्थित राजकोट किले में 17वीं सदी के मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा का उद्घाटन किया था, जो सोमवार को दोपहर एक बजे के आसपास ढह गई थी। इस घटना से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी और उसे विपक्षी दलों की आलोचनाओं और विरोध-प्रदर्शन का सामना करना पड़ा था। शिंदे ने कहा था कि प्रतिमा का निर्माण भारतीय नौसेना ने किया था।