अभी सीएम न बने तो करना पड़ सकता है वर्षों इंतजार : सचिन पायलट

भाजपा सत्ता में अपने आगमन को लेकर आश्वस्त, बजट में की उन्होंने कई लोक लुभावनी घोषणाएं

अभी सीएम न बने तो करना पड़ सकता है वर्षों इंतजार : सचिन पायलट

जयपुर-राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। पिछले कुछ वर्षों से राज्य में हर पांच साल में सरकार बदलने की परम्परा रही है। ऐसे में जहां भाजपा सत्ता में अपने आगमन को लेकर आश्वस्त है तो वहीं कांग्रेस का प्रयास है कि एक बार सरकार बदलने के चलन को बदला जाये। इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मेहनत भी कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने जो बजट पेश किया उसमें भी उन्होंने कई लोक लुभावन घोषणाएं की हैं। लेकिन गहलोत की कुर्सी चाह रहे सचिन पायलट का धैर्य अब जवाब देने लगा है। सचिन पायलट जानते हैं कि यदि अभी मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं मिली तो सरकार बदलने पर पांच साल और इंतजार करना होगा। पांच साल में राजनीति क्या करवट ले ले, कहा नहीं जा सकता। इसलिए अब सचिन पायलट इंतजार के मूड़ में नहीं हैं और उन्होंने सीधे कांग्रेस आलाकमान से स्थिति को स्पष्ट करने की माँग कर डाली है। सचिन पायलट ने कांग्रेस आलाकमान से सवाल पूछा है कि पार्टी का अनुशासन तोडऩे वाले अशोक गहलोत के करीबियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गयी है?

हम आपको बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने कहा है कि पिछले साल जयपुर में पार्टी विधायक दल (सीलपी) की बैठक में भाग नहीं लेकर तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश की ‘‘अहवेलना करने वाले’’ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में ‘‘अत्यधिक विलंब’’ हो रहा है। सचिन पायलट ने कहा है कि अगर राज्य में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा बदलनी है तो कांग्रेस को इन सब मामलों पर जल्द फैसला करना होगा। सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले तीन नेताओं को चार महीने पहले दिए गए कारण बताओ नोटिस का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि मामले में निर्णय लेने में ‘‘अप्रत्याशित विलंब’’ क्यों हो रहा है। सचिन पायलट ने कहा, ‘‘विधायक दल की बैठक 25 सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई थी। यह बैठक नहीं हो सकी। बैठक में जो भी होता वो अलग मुद्दा था, लेकिन बैठक ही नहीं होने दी गई।’’ उन्होंने कहा कि जो लोग बैठक नहीं होने देने और समानांतर बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार थे उन्हें ‘‘प्रथम दृष्टया अनुशासनहीनता’’ के लिए नोटिस दिए गए थे।

गहलोत ने तो ड्रीम बजट पेश कर दिया

पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा, ‘‘मुझे मीडिया के माध्यम से यह जानकारी मिली कि इन नेताओं ने नोटिस के जवाब दे दिए। लेकिन उन जवाबों पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की तरफ से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसके अलावा सचिन पायलट ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उच्च न्यायालय में दायर हलफनामे में इसका उल्लेख किया गया है कि 81 विधायकों के इस्तीफे मिले और कुछ ने व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफे सौंपे थे। उनके अनुसार, हलफनामे में यह भी कहा गया कि कुछ विधायकों के इस्तीफे फोटोकॉपी थे और शेष को स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि ‘‘वे अपनी मर्जी’’ से नहीं दिए गए थे। उन्होंने कहा कि यह एक कारण था जिसके आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफे अस्वीकार किए।

सचिन पायलट ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘ये इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए क्योंकि अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे। अगर वे अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे तो ये किसके दबाव में दिए गए थे? क्या कोई धमकी थी, लालच था या दबाव था...यह एक ऐसा विषय है जिस पर पार्टी की ओर से जांच किए जाने की जरूरत है।’’ राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा, ‘‘हम बहुत जल्द चुनाव की तरफ बढ़ रहे हैं, बजट भी पेश हो चुका है। पार्टी नेतृत्व ने कई बार कहा कि वह फैसला करेगा कि कैसे आगे बढऩा है। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के बारे में जो भी फैसला करना है वो होना चाहिए क्योंकि इस साल के आखिर में चुनाव है।’’

सचिन पायलट के अनुसार, अगर हर पांच साल पर सरकार बदलने की 25 साल से चली आर रही परंपरा बदलनी है और फिर से कांग्रेस की सरकार लानी है तो जल्द फैसला करना होगा। सचिन पायलट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान में खुद आक्रामक ढंग से प्रचार कर रहे हैं और ऐसे में कांग्रेस को अब मैदान पर उतरकर कार्यकर्ताओं को लामबंद करना होगा ताकि ‘‘हम लड़ाई के लिए तैयार रहें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विधायक दल की बैठक तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर बुलाई गई थी और ऐसे में बैठक नहीं होना पार्टी के निर्देश की अहवेलना थी।’’ गौरतलब है कि प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक एवं पीएचईडी मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर को उस समय नोटिस जारी किए गए थे, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे के विधायक 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे और पार्टी के किसी भी कदम के खिलाफ धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की थी।