तो अब संसद में माफी नहीं मांगेंगे कांग्रेस के ‘युवराज’

राहुल गांधी ने ऐसे लिया रविशंकर प्रसाद का सहारा

तो अब संसद में माफी नहीं मांगेंगे कांग्रेस के ‘युवराज’

नई दिल्ली- संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के सातवें दिन यानी मंगलवार को भी गतिरोध जारी रहा। कांग्रेस सांसदों का आरोप है कि उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा। भाजपा सांसद, राहुल गांधी से उनके द्वारा ब्रिटेन में भारतीय लोकतंत्र के बारे में दिए गए बयान को लेकर माफी की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस एवं दूसरे विपक्षी दल, अदाणी मुद्दे पर जेपीसी गठन की बात कहते हैं। राहुल गांधी ने माफी मांगने के मुद्दे पर कहा, सदन में उन्हें बोलने दिया जाए। उनके खिलाफ केंद्र सरकार के मंत्रियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। राहुल ने अब वह काट ढूंढ ली है, जिसके तहत उन्हें बोलने का मौका मिल सकता है। इसके लिए उन्होंने भाजपा के ही पूर्व मंत्री रविशंकर प्रसाद का सहारा लिया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे अपने पत्र में राहुल ने नियम 357 का हवाला देते हुए कहा है, उन्हें सदन में बोलने की अनुमति दी जाए। राहुल ने रविशंकर प्रसाद का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने 2015 में बतौर मंत्री संसद में ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से की गई टिप्पणी का जवाब देने के लिए इसी नियम का हवाला दिया था। उन्हें बोलने की इजाजत भी मिल गई थी। 

राहुल गांधी ने अपने पत्र में कहा है कि मेरे ऊपर सत्ता पक्ष के लोगों द्वारा जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे पूरी तरह गलत हैं। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया है कि उन्हें सदन में जवाब देने का अधिकार दिया जाए। केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने उन पर निराधार और अनुचित आरोप लगाए हैं। राहुल ने लोकसभा अध्यक्ष बिरला को लिखे पत्र में नियम 357 का हवाला दिया है। इस पत्र में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं मौजूदा सांसद रविशंकर प्रसाद का उदाहरण पेश किया है। प्रसाद ने किस तरह से मंत्री रहते हुए संसद में ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से की गई टिप्पणी का जवाब देने के लिए इसी नियम का हवाला दिया था। राहुल गांधी ने कहा, मैं आपसे फिर ऐसा ही आग्रह कर रहा हूं। मैं संसद की परिपाटी, संविधान में निहित नैसर्गिक न्याय, नियम 357 के तहत आपसे अनुमति मांग रहा हूं। उन्हें नियमानुसार, जवाब देने की अनुमति मिलनी चाहिए। राहुल गांधी ने ओम बिरला को 18 मार्च को यह पत्र लिखा था। 

उस वक्त रविशंकर प्रसाद ने कही थी ये बात

तत्कालीन संचार और सूचना मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सदन में लोकसभा स्पीकर को संबोधित करते हुए यह बात कही थी। उन्होंने कहा, स्पीकर महोदय, आपने मुझे रूल्स के अंतर्गत पर्सनल एक्सप्लेनेशन करने का अवसर दिया है। उसके लिए मैं कृतज्ञ हूं। 24 फरवरी 2015 को इस सदन के सम्मानित सदस्य ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया ने शून्यकाल के दौरान मेरे बारे में बताया कि मैंने संविधान की प्रस्तावना में बहस का आग्रह किया है और मेरी यह टिप्पणी निंदाजनक है। यह पूरी बात रिकार्ड पर है। बतौर रवि शंकर प्रसाद, मैं इस संदर्भ में स्पष्ट करना चाहूंगा कि मैंने यह वक्तव्य कभी नहीं दिया था। 28 जनवरी को कैबिनेट की बैठक के बाद मैं प्रेस ब्रीफिंग कर रहा था। उस समय आईएंडबी के विज्ञापन के बारे में मुझसे एक सवाल पूछा गया था। मैंने कहा, कांग्रेस पार्टी को यह बहस करनी चाहिए कि जवाहर लाल नेहरू, जो देश के वरिष्ठ नेता हैं, उनका हम सभी सम्मान करते हैं, वे सेक्यूलर थे या नहीं। जब 1950 में संविधान बना तो मौलाना आजाद, सरदार पटेल, भीमराव अंबेडकर आदि लोगों ने सेक्यूलर और सोशलिस्ट वर्ड नहीं रखा था। इस पर बहस होनी चाहिए। सारे अखबारों ने हमारी यह बात सही सही छापी, लेकिन एक अखबार ‘अंग्रेजी दैनिक’ ने अपनी हैडलाइंस में कहा कि हमने प्रिएम्बल पर बहस की बात की है। 

मेरी टिप्पणी को निंदाजनक कहना, दुर्भाग्यपूर्ण ... 

रविशंकर प्रसाद ने कहा, उन्होंने 30 तारीख को मेरा पूरा क्लेरीफिकेशन छापा। उसके बाद दो तारीख को उसी अखबार ने एक संपादकीय लिखा। उसमें मेरे इस संदर्भ का पूरा जिक्र किया गया। मेरी आलोचना की गई। उसके बाद अखबार ने मेरा पूरा रिजॉइन्डर विस्तार से छापा। 29 तारीख को मैंने कई टीवी चैनल्स को कहा कि मैंने यह कभी नहीं कहा और न ही सरकार की मंशा है। हां, कांग्रेस पार्टी को यह सवाल पूछना है कि नेहरू जी सेक्यूलर थे या नहीं। यह वर्ष 1950 में नहीं हुआ था। जो बातें मैंने कभी नहीं कही, उन्हें लेकर सिंधिया साहब, जो मेरे मित्र भी हैं। उनका मैं सम्मान करता हूं। वे होमवर्क करते हैं। वे मुझसे फोन पर पूछ लेते और सदन में मेरा नाम लेकर मेरी टिप्पणी को निंदाजनक कहना, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इसलिए मैं पूरा रिकार्ड स्ट्रेट करना चाहता हूं। अगर आप कहेंगे तो मैं अपने पूरे स्टेटमैंट को औथेंटिकेट करके सदन के पटल पर रख दूंगा। मैं यह नहीं कहूंगा कि वे खेद प्रकट करें या शर्म करें, लेकिन यह अपेक्षा करूंगा कि अगर रिकार्ड इतना स्ट्रेट है तो कम से कम मेरे खिलाफ की गई सदन पर टिप्पणियों को वापस लेंगे। यह मैं उनसे अपेक्षा अवश्य करता हूं।