कांग्रेस नेता धर्मपुरी श्रीनिवास का 76 वर्ष की उम्र में हुआ निधन

श्रीनिवास के एक पुत्र संजय निजामाबाद के पूर्व महापौर हैं और दूसरे पुत्र अरविंद निजामाबाद से भारतीय जनता पार्टी हैं

कांग्रेस नेता धर्मपुरी श्रीनिवास का 76 वर्ष की उम्र में हुआ निधन

हैदराबाद : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा के पूर्व सदस्य धर्मपुरी श्रीनिवास (डीएस) का शनिवार तड़के जुबली हिल्स स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वह 76 वर्ष के थे। श्री श्रीनिवास के एक पुत्र संजय निजामाबाद के पूर्व महापौर हैं और दूसरे पुत्र अरविंद निजामाबाद से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हैं। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, श्रीनिवास कुछ समय से बीमार चल रहे थे और दिल का दौरा पड़ने से आज तड़के तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका पार्थिव शरीर फिलहाल जुबली हिल्स स्थित उनके घर पर रखा गया है और उसे उनके पैतृक स्थान निजामाबाद के प्रगतिनगरले जाया जाएगा। अंतिम संस्कार रविवार को होगा।

श्रीनिवास ने संयुक्त आंध्र प्रदेश में मंत्री और प्रदेश कांग्रेस समिति (पीसीसी) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। उन्होंने 2004 और 2009 में मंत्री के रूप में कार्य किया और तत्कालीन मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के बहुत करीबी थे। पीसीसी अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कांग्रेस पार्टी राज्य में सत्ता में आई। उन्हें प्यार से डीएस कह कर बुलाया जाता था।

सत्ताईस सितंबर, 1948 को निजामाबाद में जन्मे डीएस ने निजाम कॉलेज से अपनी डिग्री पूरी की। उन्होंने छात्र संघ नेता के रूप में राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) और युवजन कांग्रेस में काम किया। उन्होंने तीन बार विधायक के रूप में जीत हासिल की। उन्होंने पहली बार 1989 में निजामाबाद शहरी निर्वाचन क्षेत्र के लिए चुनाव लड़ा। बाद में उन्होंने 2004 और 2009 के विधानसभा चुनाव जीते। उन्होंने 1989 से 1994 तक ग्रामीण विकास और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री तथा 2004 से 2008 तक उच्च शिक्षा और शहरी भूमि सीमा मंत्री के रूप में कार्य किया।

उन्होंने 2013 से 2015 तक विधान परिषद सदस्य के रूप में कार्य किया। तेलंगाना के गठन के बाद, उन्होंने परिषद के विपक्षी नेता के रूप में कार्य किया। दूसरी बार एमएलसी बनने का अवसर न मिलने पर उन्होंने 2015 में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया और बाद में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) में शामिल हो गए। उन्होंने राज्य सरकार के लिए अंतर-राज्यीय मामलों के सलाहकार के रूप में काम किया और 2016 से 2022 तक बीआरएस के राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्य किया। बाद में उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए, लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण राजनीति से दूर रहे।