जम्मू-कश्मीर से आतंक का काम पूरी तरह से होगा संवाद, अमित शाह की रणनीति को अमल में लाते हुए औद्योगिक सुरक्षा बल

जहां तक केंद्र सरकार की ओर से सुरक्षा हालात की समीक्षा की बात है

जम्मू-कश्मीर से आतंक का काम पूरी तरह से होगा संवाद, अमित शाह की रणनीति को अमल में लाते हुए औद्योगिक सुरक्षा बल

जम्मू-कश्मीर : आतंक के खिलाफ चल रहे अभियान में देश को लगातार सफलता मिल रही है लेकिन चुनौतियां अभी बनी हुई हैं जिसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा हालात की गहन समीक्षा की है।

साथ ही पाकिस्तान से सटी सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश भी दिये गये हैं। इसके अलावा पाकिस्तान से ड्रोन के माध्यम से होने वाली तस्करी पर लगाम की ऐसी तैयारी की जा रही है कि जल्द ही इस समस्या का पूर्ण समाधान हो सकता है।

जहां तक केंद्र सरकार की ओर से सुरक्षा हालात की समीक्षा की बात है तो आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अधिकारियों को जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियानों को मजबूत करने का निर्देश दिया है और आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र के पूर्ण उन्मूलन पर भी जोर दिया है। जम्मू-कश्मीर में संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा एजेंसियों को उचित तैनाती की सलाह देते हुए

अमित शाह ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद रोधी अभियान चलाते समय सभी उचित प्रक्रियाएं अपनाई जानी चाहिए। एक आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार, ये निर्देश यहां नॉर्थ ब्लॉक में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में दिए गए। इस दौरान गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की।

बैठक में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और खुफिया और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए।

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा ग्रिड के कामकाज और समग्र सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा करते हुए अमित शाह ने अधिकारियों को आतंकवाद रोधी अभियानों को मजबूत करने का निर्देश दिया और आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र के पूर्ण नाश की आवश्यकता पर बल दिया।

हम आपको बता दें कि एक पखवाड़ा पहले पुंछ जिले में आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किये गये हमले में पांच सैनिकों के शहीद होने के मद्देनजर यह बैठक बुलाई गई थी।

सेना 21 दिसंबर के आतंकवादी हमले के एक दिन बाद तीन नागरिकों को पूछताछ के लिए कथित तौर पर ले गई थी। 21 से 42 वर्षीय ये तीनों लोग बाद में मृत पाए गए जिससे लोगों में आक्रोश फैल गया था। इन घटनाओं के मद्देनजर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने पुंछ का दौरा किया था।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘गृह मंत्री को जम्मू-कश्मीर में मौजूदा सुरक्षा स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है।’’ इससे पूर्व, जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने मृत नागरिकों के परिजनों के लिए मुआवजे और नौकरी का ऐलान करते हुए कहा कि इस मामले में कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

हम आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2023 की शुरुआत से ही छिटपुट हिंसा जारी है। अधिकारियों ने हिंसा में वृद्धि को क्षेत्र में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने के लिए 'सीमा पार के हताश प्रयासों' को जिम्मेदार ठहराया है।

जहां तक पाकिस्तान से सटी सीमा पर निगरानी बढ़ाने की बात है तो आपको बता दें कि सीमा पार (पाकिस्तान) से ड्रोन के जरिये हथियार और मादक पदार्थ की तस्करी करके इन्हें भारतीय क्षेत्र में पहुंचाने की समस्या का अगले छह महीने में अंत हो जाएगा, क्योंकि एक स्वदेशी ड्रोन रोधी प्रौद्योगिकी विकसित की जा रही है,

जिससे राष्ट्र विरोधी तत्वों के इस तरह के दुस्साहस पर रोक लगाई जा सकेगी। सुरक्षा एजेंसियां ड्रोन-रोधी प्रौद्योगिकी की तीन डिजाइन पर काम कर रही हैं और अंतिम परिणाम तीन या इन तीनों का संयोजन हो सकता है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ड्रोन के इस्तेमाल से सीमा पार से हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी का खतरा अगले छह महीनों में खत्म हो जाएगा। निश्चित रूप से तब तक ड्रोन रोधी प्रौद्योगिकी की व्यवस्था हो जाएगी।’’

उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकी का परीक्षण चल रहा है और यह अंतिम चरण में है। पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ड्रोन या मानवरहित विमान (यूएवी) का उपयोग करके पाकिस्तान से भेजे गये हथियारों, गोला-बारूद और मादक पदार्थों को गिराया जाना कई वर्षों से सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी समस्या रही है।

हम आपको याद दिला दें कि केंद्र सरकार ने पिछले साल अगस्त में बताया था कि पिछले तीन वर्षों में पंजाब में सीमा पार से हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किये जाने के 53 मामलों का पता चला है।

जहां तक कश्मीर में आतंक के खिलाफ चल रहे अभियान में सफलता की बात है तो आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में पिछले साल सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में कुल 72 आतंकवादी मारे गए जिनमें 50 विदेशी मूल के थे। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में अब भी 91 आतंकवादी सक्रिय हैं

जिनमें 66 विदेशी और 25 स्थानीय आतंकवादी हैं। जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने और आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने के लिए सीआरपीएफ कर्मियों को बड़े पैमाने पर तैनात किया गया है।

आधिकारिक सूत्रों के हवाले से दिए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में 187 आतंकवादी मारे गए थे जिनमें से 57 विदेशी मूल के आतंकवादी थे। विदेशी मूल के आतंकवादियों में अधिकतर पाकिस्तानी थे। शेष 130 आतंकवादी स्थानीय थे।