बंगाल में पंचायत चुनाव संबंधी हिंसा में 12 लोगों की मौत

इस बीच, सुबह 11 बजे तक केवल 22.6 प्रतिशत वोट पड़े जो ग्रामीण बंगाल के इतिहास में अब तक का सबसे कम वोट है।

बंगाल में पंचायत चुनाव संबंधी हिंसा में  12 लोगों की मौत

कोलकाता - पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण के दौरान शनिवार को हुई हिंसा में राज्य के विभिन्न हिस्सों में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्ष दोनों के प्रति निष्ठा रखने वाले 12 लोगों की मौत हो गई।

हिंसा की घटनाओं में एक उम्मीदवार सहित तृणमूल कांग्रेस के सात कार्यकर्ता मारे गए, भारतीय जनता पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के दो-दो तथा कांग्रेस का एक कार्यकर्ता मारा गया।

उत्तर और दक्षिण 24 परगना के अलावा मुर्शिदाबाद, मालदा तथा कूच बिहार जिले भी हिंसा की चपेट में हैं।

हिंसक झड़पों में बड़ी संख्या में लोगों के घायल होने के अलावा, कम से कम दो मतदान केंद्रों पर मतपेटियाँ नष्ट कर दी गयीं।

इस बीच, सुबह 11 बजे तक केवल 22.6 प्रतिशत वोट पड़े जो ग्रामीण बंगाल के इतिहास में अब तक का सबसे कम वोट है।

राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य में पंचायत मतदान के दौरान मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने मतदान प्रक्रिया वाले कई क्षेत्रों का दौरा किया और राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर असंतोष व्यक्त किया।

राज्यपाल ने पूछा,“लोकतंत्र के रक्षकों की रक्षा कौन करेगा। चुनाव आयोग कहीं नजर नहीं आता, फिर भी चुनाव आयुक्त चुप्पी साधे हुए हैं।”

राज्यपाल ने कहा कि उन्हें बताया गया कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से हत्याओं और हिंसा की खबरें आ रही हैं। उन्होंने कहा,“आम लोगों की रक्षा कौन करेगा। चुनाव आयोग चुप है। मैंने उनसे जवाब देने को कहा है कि लोगों और लोकतंत्र की रक्षा करने वाला कौन है।”

इस बीच तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे केंद्रीय बलों की विफलता है।

तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि पीड़ितों में से अधिकांश उनके समर्थक थे। उन्होंने राज्यपाल को ‘भाजपा एजेंट’ बताते हुए आरोप लगाया कि श्री बोस आज भी सड़कों पर प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा,“श्री बोस (राज्यपाल) को 11 जुलाई के बाद बैग और सामान के साथ तैयार रहना चाहिए, जिस दिन चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे।”

उन्हाेंने कहा कि जो लोग लोकतंत्र के सिद्धांतों की वकालत करते थे, वे ही इसके पतन के लिए जिम्मेदार हैं। उत्तर दिनाजपुर के विद्यानंदपुर ग्राम पंचायत के निवर्तमान प्रधान पर बंगाल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा बेरहमी से हमला किया गया। केंद्रीय बलों का कहीं पता नहीं है।

तृणमूल कांग्रेस ने ट्वीट किया,“भगवानपुर-द्वितीय ब्लॉक के बरोज ग्राम पंचायत में भाजपा विधायक रबींद्रनाथ मैती को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की मदद से बूथ पर कब्जा करते देखा गया। हमारे समर्थकों पर भाजपा के कथित गुंडों द्वारा अत्याचार और हमला किया जा रहा है। इस बीच, सीआरपीएफ एक मूकदर्शक की भूमिका निभा रही है।”

तृणमूल कांग्रेस ने पूछा,“क्या इसीलिए बंगाल भाजपा ने केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की? बंगाल के लोगों पर हिंसा भड़काने में उनकी सहायता के लिए?”भाजपा, माकपा और कांग्रेस मौत तथा सामूहिक विनाश के इस रंगमंच में अपनी अग्रिम पंक्ति की सीटों का आनंद ले रहे होंगे। बसंती और कटवा में हमारे दो पार्टी कार्यकर्ताओं की दुखद मौतें केंद्रीय बलों की अक्षमता को उजागर करती हैं जो मूकदर्शक बनने के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं। क्या आप इसी तरह लोकतंत्र का जश्न मनाते हैं?”

तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा लोकतंत्र पर अपने हमले में नए निचले स्तर पर पहुंच गई है। उसके कार्यकर्ताओं ने बेशर्मी से कूचबिहार के दिनहाटा में एक मतदान केंद्र के बाहर गोलीबारी की जिससे लोगों को वोट देने के उनके मौलिक अधिकार का प्रयोग करने से रोका गया। इस तरह की हताश रणनीति केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में बाधा डालने के उनके प्रयास को उजागर करती है।”

पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने राज्य पंचायत चुनाव को ‘डेमो'एन'क्रेसी का कार्निवल’ बताते हुए ‘कालीघाट चलो’ का शनिवार को आह्वान किया और लोकतंत्र की रक्षा के लिए अनुच्छेद 356 या 355 लगाने की मांग की।

नंदीग्राम से भाजपा विधायक ने ट्वीट किया,“पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव-लोकतंत्र का कार्निवल, ममता बनर्जी के गुर्गे और सुपारी हत्यारे व राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा राज्य भर में उनकी योजनाओं को क्रियान्वित कर रहे हैं। यह उनका लोकतंत्र मॉडल है।”

विधायक ने लोगों और अपने समर्थकों से ‘कालीघाट चलो’ का आह्वान किया। उन्होंने गरजते हुए कहा, “ अगर गोलीबारी हुई तो मैं मार्च का नेतृत्व करूंगा। मैं बंगाल में लोकतंत्र की बहाली के लिए किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हूं। मैंने लोकतंत्र को बचाने के लिए उनकी पार्टी (टीएमसी) और दोस्ती छोड़ दी । राज्य में धारा 356 या 355 लगाने की मांग की। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दिल्ली क्या कहती है लेकिन मैं उन अनुच्छेदों को लागू करने की मांग करता हूं और कालीघाट चलो का नेतृत्व करें। भले ही गोलीबारी में 10-20 लोग भी मारे जाएं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन मैं बंगाल में लोकतंत्र बहाल करना चाहता हूं।”

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने आरोप लगाया,“दिनहाटा में एक तालाब में मतपत्र मिले। इस तरह से पंचायत चुनाव हो रहे हैं। सभी चुनावी प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया जा रहा है।”

उन्होंने पूछा,“अब ‘हैक ईवीएम’ गिरोह कहां है? क्या यही वजह है कि मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और उनके जैसे लोग भी ईवीएम को निशाना बनाते हैं?”

श्री मजूमदार ने कहा,“"मैंने आज दक्षिण दिनाजपुर के सुखदेवपुर में बूथ नंबर 176 का दौरा किया। पुलिस कर्मियों ने कहा कि हमें इन गुंडों से बचाएं। ये गुंडे इस चुनाव में धांधली करने के लिए सभी उपाय कर रहे हैं। वे पुलिस कर्मियों को भी नहीं बख्श रहे हैं। यह दीदी के शासन में चौंकाने वाली हकीकत है।”

उन्होंने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर ‘आतंकवाद का राज कायम करने’ का आरोप लगाते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र मर चुका है।”

भाजपा नेता अमित मालवीय ने ट्वीट किया,“बंगाल में पिन की तरह लाशें गिर रही हैं। पंचायत चुनावों से पहले जारी राजनीतिक हिंसा की लहर लगातार जारी है। पश्चिम बंगाल की गृह मंत्री के रूप में सुश्री ममता बनर्जी इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। पश्चिम बंगाल सरकार एसईसी के साथ मिलीभगत करके, लोगों को वोट देने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है।”