सदाबहार वनों की सघनता को खो रहा है सुंदरवन

चक्रवातों का सुंदरवन के सदाबहार बनों की सघनता पर व्यापक असर पड़ रहा

सदाबहार वनों की सघनता को खो रहा है सुंदरवन

नीमपीठ (पश्चिम बंगाल) : विश्व के सबसे बड़े डेल्टा और रॉयल बंगाल टाइगर के घर के नाम से दुनिया भर में मशहूर सुंदरवन धीरे-धीरे अपने सदाबहार वनों की सघनता को खो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि लवणता के स्तर में वृद्धि और हाल के दिनों में चक्रवातों का सुंदरवन के सदाबहार बनों की सघनता पर व्यापक असर पड़ रहा है। चिंता का विषय यही है, क्योंकि यही सघनता चक्रवातों के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है और कोलकाता को बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होने वाले तूफानों का के जोखिम से भी बचाता है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वर्ष 2020 में बड़े पैमाने पर सदाबहार वृक्षारोपण की घोषणा की थी। वन निदेशालय, दक्षिण 24 परगना डिवीजन ने ‘विश्व सदाबहार दिवस’ मनाने के लिए बुधवार को यहां एक विशाल सदाबहार वृक्षारोपण पहल की घोषणा की। वहीं संयुक्त राष्ट्र से मान्यता प्राप्त सामाजिक उद्यम कोलकाता सोसाइटी फॉर कल्चरल हेरिटेज (केएससीएच) सुंदरबन क्षेत्र में सदाबहार वृक्षारोपण के अभियान में लगी है/ राज्य के 24 परगना दक्षिण प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) मिलन मंडल ने बुधवार को एक कार्यक्रम में औपचारिक रूप से सदाबहार वृक्षारोपण और रखरखाव के लिए केएससीएच को 1020 हेक्टेयर (2520 एकड़ के बराबर) गैर-वन भूमि के एक विशाल भूभाग के आवंटन की घोषणा की है। .इस मौके पर केएससीएच की अध्यक्ष अर्पिता मुखर्जी और संस्थापक निदेशक सौरव मुखर्जी उपस्थित थे।