सम्राट मिहिर भोज का विवाद सुलझाने के लिए गठित कमेटी भी विवादों में

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सम्राट मिहिर भोज का विवाद सुलझाने के लिए गठित कमेटी भी विवादों में

चंडीगढ़ : हरियाणा में सम्राट मिहिर भोज को लेकर गुर्जरों और राजपूतों में छिड़े विवाद को सुलझाने के लिए गठित कमेटी का विरोध शुरू हो गया है। अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने कहा है कि कमेटी में क्षत्रिय बनाम गुर्जर की जगह राजपूत बनाम गुर्जर लिखा जाना चाहिए क्योंकि क्षत्रिय एक वर्ण है न कि जाति। साथ ही मांग की गई है कि मामले में महासभा के पक्षकार होने के नाते कमेटी में आचार्य वीरेंद्र विक्रम को शामिल किया जाए ताकि तथ्यों और प्रमाणों को कमेटी के समक्ष रखा जा सके।
अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग गुर्जर ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि कमेटी को लेकर आपत्ति राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भिजवा दी गई है। अगर कमेटी में महासभा के प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया जाता है तो संगठन की ओर से कोई पदाधिकारी कमेटी के समक्ष नहीं जाएगा और इसे पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।
आचार्य वीरेंद्र विक्रम ने कहा कि सम्राट मिहिर भोज के इतिहास को मिटाने के लिए छल कपट किया जा रहा है। सम्राट मिहिर भोज के समकालीन शासकों राष्ट्रकूट और पालो ने अपने अभिलेखों में उन्हें गुर्जर कहकर संबोधित किया है। 851 ईसवी में भारत भ्रमण पर आए अरब यात्री सुलेमान ने उनको गुर्जर राजा और उनके देश को गुर्जरदेश कहा है। 911 ईसवी मे बगदाद के इतिहासकार अल मसूदी ने भी गुर्जर प्रतिहार सम्राटों की जाति गुर्जर लिखी है। सम्राट मिहिर भोज के पौत्र सम्राट महिपाल को कन्नड़ कवि पंप ने गुर्जर राजा लिखा है।