बेडा समुदाय की संस्कृति के बारे में लोगों को जागरूक करना जरूरी है: तीरथ रावत

राजधानी में स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में आज ‘गढ़वाल का बेडा समाज

बेडा समुदाय की संस्कृति के बारे में लोगों को जागरूक करना जरूरी है: तीरथ रावत

नयी दिल्ली :  उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में बेडा समुदाय की संस्कृति को बचाना आवश्यक है, क्योंकि यह हमारी पहचान है और इनके बारे में लोगों को जागरूक करना है।



राजधानी में स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में आज ‘गढ़वाल का बेडा समाज: एक अध्ययन’ पुस्तक के विमोचन पर उन्होंने यह बात कही।



इस अवसर पर आईजीएनसीए के आदि दृश्य प्रभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रमाकर पंत, पुस्तक के लेखक मनोज चंदोला और उत्तराखंड के कई अतिथिगण भी उपस्थित थे।



श्री तीरथ सिंह रावत विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि थे। श्री रावत ने कहा कि उत्तराखंड के विभिन्न अंचलों के खानपान में विविधता है, भौगेलिक स्थितियों में विविधता है, रहन-सहन अलग है, लेकिन यहां की संस्कृति एक है।



इस पुस्तक के लेखक मनोज चंदोला ने कहा, ‘हिमाद्रि प्रोडक्शंस’ ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सहयोग से गढ़वाल के आदि गायक ‘बेडा समाज’ पर एक अध्ययन में गढ़वाल में संगीत और लोकविधाओं में बेड़ा समाज के योगदान को समझने की कोशिश की गई है। यह अध्ययन न केवल रोचक था,

बल्कि लोक विधाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिये नई समझ देने वाला भी था। बेड़ा समाज ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और समसामयिक दृष्टि से हर काल में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।



उन्होंने कहा कि सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर बेड़ा समाज को संरक्षण देने की आवश्यकता है। यह भी चिंतनीय है कि जो समाज हमेशा दूसरों के लिये गाता रहा है,

दूसरों के कल्याण की मंगल कामना करता रहा है, वही समाज की मुख्यधारा से कटने को अभिशप्त है, इसलिये इस समाज के गीतों, ‘लांग’, ‘स्वांग’ और ‘बेडावर्त’ जैसी लोक विधाओं को किसी न किसी रूप में संरक्षित करने का रास्ता निकालना चाहिए।