कुंभ मेला: एनजीटी ने नालों में अपशिष्ट जल की मात्रा, निस्तारण पर जानकारी के लिए गठित की समिति
प्रयागराज के जिलाधिकारी और उत्तर प्रदेश जल निगम के मुख्य अभियंता की एक समिति बनाई।
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उत्तर प्रदेश : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने नालों में अपशिष्ट जल की कुल मात्रा, उसके शोधन और इसके बाद उन्हें प्रयागराज में गंगा और यमुना नदी में छोड़े जाने के बारे में सटीक जानकारी जुटाने के लिए एक समिति गठित की है।
एनजीटी दो नदियों में अपशिष्ट जल छोड़े जाने की स्थिति में प्रयागराज में 2024-25 के दौरान होने वाले कुंभ मेले में स्वच्छ पानी की उपलब्धता से जुड़े एक मामले में सुनवाई कर रही थी।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन की रिपोर्ट के मुताबिक प्रति दिन 50 करोड़ लीटर (एमएलडी) अपशिष्ट जल नालों में आने का अनुमान है,
जबकि सीवेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) की मौजूदा क्षमता 34 करोड़ लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) है। लेकिन इनकी क्षमता 53 करोड़ 30 लाख एमएलडी अपशिष्ट जल तक का शोधन करने के लिए बढ़ाई जा रही है।
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे। पीठ ने प्रयागराज मेला प्राधिकरण की दलीलों पर ध्यान दिया जिसमें कहा गया था तीर्थयात्रियों के स्नान के लिए अधिसूचित मानक के अनुरूप शोधित जल गंगा और यमुना में छोड़ा जा रहा है।
पीठ ने बुधवार को आदेश परित करते हुए कहा कि, ‘‘सही स्थिति जानने के लिए हमें कुल अपशिष्ट जल, मौजूदा एसटीपी और उनके कामकाज आदि के बारे में रिपोर्ट की जरूरत है...।’’
एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालयों, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधियों,
प्रयागराज के जिलाधिकारी और उत्तर प्रदेश जल निगम के मुख्य अभियंता की एक समिति बनाई। अधिकरण ने कहा कि यह रिपोर्ट सुनवाई की अगली तारीख से एक सप्ताह पहले सौंपनी होगी। मामले में अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी।