मॉब लिंचिंग पीडि़तों को मिले मुआवजा

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और 6 राज्यों से जवाब मांगा

मॉब लिंचिंग पीडि़तों को मिले मुआवजा

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर केंद्र और छह राज्यों के पुलिस प्रमुखों को नोटिस जारी किया, जिसमें मुसलमानों के खिलाफ गोरक्षा और मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं का आरोप लगाया गया है। जनहित याचिका में पिछले दो महीनों में सामने आए छह मामलों में पीडि़तों के लिए मुआवजे की भी मांग की गई है और 2018 तहसीन पूनावाला मामले में इस तरह की रोकथाम और अंकुश लगाने के लिए शीर्ष अदालत के दिशानिर्देशों के बावजूद मुस्लिमों के खिलाफ भीड़ की हिंसा, विशेष रूप से गोरक्षकों द्वारा की गई हिंसा पर चिंता जताई गई है। 

पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि हम नोटिस जारी करेंगे। इस याचिका में छह अलग-अलग राज्यों से सामने आए मॉब लिंचिंग और गौरक्षकों के छह मामले पेश किए गए हैं। सिब्बल ने महिला निकाय की याचिका पर बहस करते हुए कहा कि यदि मैं उच्च न्यायालयों में जाता हूँ, तो अंतत: मुझे क्या मिलेगा? मुझे 10 साल बाद 2 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. फिर हम कहां जाएं। मामले में परिवार के पुरुष सदस्यों की पीट-पीट कर हत्या कर दिए जाने के बाद मुस्लिम महिलाओं को उसके हाल पर छोड़ दिए जाने का मुद्दा उठाया गया था।

याचिका में पीडि़तों को मुआवजे के रूप में न्यूनतम एक समान राशि का भुगतान करने की प्रार्थना की गई, जिसका एक हिस्सा पीडि़त परिवारों को उनकी तत्काल जरूरतों को पूरा करने में मदद करने के लिए अग्रिम भुगतान किया जाना चाहिए। पीठ ने सिब्बल से कहा कि आपने उच्च न्यायालय जाने के लिए कहने के हमारे सवाल को टाल दिया। अनुभवी वकील ने उत्तर दिया कि ऐसे ही एक मामले में आपने मुझसे उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा था इसलिए मुझे यह पता था और मैंने पहले ही इसकी योजना बना ली थी।´