गौरी के खिलाफ जज बनाने को लेकर याचिका हुई खारिज

पॉलिटिकल बैकग्राउंड का हवाला देते हुए दी दलील, वकीलों ने कॉलेजियम और राष्ट्रपति को भी इस संबंध में पत्र लिखा

गौरी के खिलाफ जज बनाने को लेकर याचिका हुई खारिज

नई दिल्ली- एडवोकेट लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट की जज बनाने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। गौरी के पॉलिटिकल बैकग्राउंड का हवाला देते हुए दलील दी गई कि जज की शपथ लेने वाले व्यक्ति की संविधान में पूरी आस्था होनी चाहिए। बेंच ने कहा कि पहले भी ऐसे मौके आए है, जब पॉलिटिकल बैकग्राउंड वाले लोग सुप्रीम कोर्ट में भी जज बने हैं। करीब 22 मिनट सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।

नेता हाईकोर्ट जज कैसे?

गौरी के अपॉइंटमेंट के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट 22 वकीलों के ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा था कि गौरी भाजपा नेता हैं। वकीलों ने कहा था कि विक्टोरिया गौरी ने इस्लाम को हरा आतंक और ईसाई को सफेद आतंक जैसे बयान भी दिए थे। पहले सीजीआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 10 फरवरी को मामले पर सुनवाई करने की बात कही थी, लेकिन एडवोकेट राजू के अनुरोध पर कोर्ट मंगलवार को सुनवाई के लिए तैयार हो गया। वकीलों ने कॉलेजियम और राष्ट्रपति को भी इस संबंध में पत्र लिखा है।

किसने क्या कहा सुनवाई में

अपॉइंटमेंट के खिलाफ दलील : वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने कहा, ‘गौरी के हाईकोर्ट जज बनाए जाने के रिकमंडेशन को खारिज कर दिया जाना चाहिए। जो भी जज शपथ लेने जा रहा है, उसके लिए यह बेहद जरूरी है कि उसकी संविधान में पूरी आस्था हो। गौरी जो बयान पब्लिक में देती रही हैं, उससे वो शपथ लेने के लिए अयोग्य साबित हो जाती हैं। मामला मद्रास हाईकोर्ट की नजर में था। फिर 10.35 पर शपथ, 10.35 का क्या महत्व है, अदालत 5 मिनट में फैसला करेगी?

जस्टिस संजीव खन्ना : पहले भी ऐसे मौके आए हैं, जब राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को अपॉइंट किया गया है। जिन बयानों का जिक्र किया जा रहा है, वो 2018 के हैं। मेरा मानना है कि गौरी के लिए रिकमंडेशन से पहले कोलेजियम ने निश्चित तौर पर इन पर भी विचार किया होगा।

अपॉइंटमेंट के खिलाफ दलील : सवाल पॉलिटिकल बैकग्राउंड का नहीं है। यह हेट स्पीच का मामला है। हेट स्पीच वह चीज है, जो पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है। इसी के चलते गौरी जज की शपथ लेने के लिए अयोग्य हो जाती हैं। ये केवल कागजी शपथ होगी।

जस्टिस बीआर गवई : जज बनने से पहले मैं भी राजनीतिक पृष्ठभूमि का था। मैं 20 साल से न्यायाधीश हूं और कभी भी मेरा पॉलिटिकल बैकग्राउंड मेरे काम के आड़े नहीं आया।

गौरी भाजपा महिला मोर्चा की महासचिव बनने का आरोप

एडवोकेट लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को सोमवार 6 जनवरी को मद्रास हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जैसे ही राष्ट्रपति के पास गौरी के नाम की सिफारिश भेजी, मद्रास हाईकोर्ट के वकीलों ने इसका विरोध शुरू कर दिया।

ईसाई गीतों पर भरतनाट्यम नहीं किया जाना चाहिए : गौरी

आर्टिकल 14 की रिपोर्ट के मुताबिक गौरी ने कहा था कि इस्लामिक आतंक हरा आतंक है तो ईसाई आतंक सफेद आतंक है। दोनों में धर्मांतरण, खासतौर पर लव जिहाद के मामले में समान रूप से खतरनाक है। उन्होंने कहा था कि ईसाई गीतों पर भरतनाट्यम नहीं किया जाना चाहिए। भगवान नटराज के आसन की तुलना ईसा मसीह से कैसे की जा सकती है। उन्होंने ये बयान 2012 से 2018 के बीच दिए थे।