5 समन पर भी ईडी के सामने पेश नहीं हुए सोरेन : केजरीवाल

कहा, दिवाली तक हूं व्यस्त, अब क्या होगा सुपरपावर एजेंसी का अगला कदम?

5 समन पर भी ईडी के सामने पेश नहीं हुए सोरेन : केजरीवाल

नई दिल्ली : एक जमाना था जब लोग सीबीआई का नाम सुनते ही डर जाते थे। वक्त बदला और इन दिनों लोगों को दंबग फिल्म के चर्चित डॉयलाग थप्पड़ से डर नहीं लगता की माफिक प्यार से नहीं लेकिन ईडी से जरूर डर लगने लगा है। इन दिनों अखबारों-टीवी देखते वक्त आप अक्सर सुनते-पढ़ते होंगे ईडी का छापा, ईडी की कार्रवाई। नेता से लेकर अफसर तक और कारोबारियों से लेकर उद्योगपति तक अब सीबीआई से ज्यादा ईडी से डरने लगे हैं। मानों किसी से पूछों कि और क्या चल रहा है तो वो फॉग की बजाए कह दे कि ईडी का खौफ चल रहा है। दिल्ली की शराब नीति में कथित घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने सीएम केजरीवाल को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था। हालांकि केजरीवाल ईडी के सामने पेश नहीं होंगे। 

ईडी के समन वाले दिन दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एजेंसी को पत्र लिखकर कहा कि आम आदमी पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक और स्टार प्रचारक होने के नाते, मुझे चुनाव प्रचार के लिए यात्रा करनी पड़ती है और अपने क्षेत्र में राजनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करना पड़ता है। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता। दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में मेरे पास शासन और आधिकारिक प्रतिबद्धताएं हैं जिनके लिए मेरी उपस्थिति आवश्यक है, खासकर दिवाली के मद्देनजर। केजरीवाल ने ईडी से समन वापस लेने की मांग की है। इसके साथ ही समन को राजनीति से प्रेरित नोटिस बताया।

ईडी के समन पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दो टूक जवाब के बाद अब ईडी के अगले कदम को लेकर अनुमान लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि ईडी की तरफ से दूसरा समन जारी किया जा सकता है। लेकिन इसी के साथ गिरफ्तारी को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अगर ईडी के सामने पेश होते हैं तो ईडी अपनी ताकत का इस्तेमाल कर सकती है। 

प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी एक विशेष वित्तीय जांच एजेंसी है। ये वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग का हिस्सा है। आसान शब्दों में कहें तो जहां पैसों से संबंधित गड़बड़ होती है वहां प्रवर्तन निदेशालय दखल देता है। किसे ने अगर फर्जी तरीके से या जुगाड़ लगाकर पैसा इधर से उधर किया है। काले पैसों को सफेद बनाया है, विदेशी पैसों से जुड़ा कोई कांड किया है तो वो ईडी के रडार पर आ जाता है। ईडी मुख्त: दो राजकोषिय कानूनों को लागू कराने का काम करती है। इनके दुरुपयोग पर नजर रखती है। इनमें पहला है- विदेशी मुद्रा प्रबंधन 1999 यानी एफईएमए (फेमा) और दूसरा है प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 (पीएमएलए)।

ईडी का गठन 1 मई 1956 को हुआ था। लेकिन उस समय इसका नाम ‘एनफोर्समेंट यूनिट’ था। यह विशेष जांच एजेंसी वित्त मंत्रालय की पहल पर बनाई गई थी। ईडी बनाने का फैसला देश में मनी लॉन्ड्रिंग, वित्तीय धोखाधड़ी समेत किसी भी तरह के वित्तीय घोटाले को रोकने के लिए लिया गया है। ईडी वर्तमान में वित्तीय धोखाधड़ी, अनियमित वित्तीय घोटालों और विदेशी मुद्रा भ्रष्टाचार के मामलों की जांच का प्रभारी है। 1957 में, प्रवर्तन इकाई का नाम बदलकर प्रवर्तन निदेशालय कर दिया गया। पूर्व आयकर प्रमुख संजय कुमार मिश्रा को इस एजेंसी का प्रमुख बनाया गया है। ईडी का मुख्यालय दिल्ली में है। दिल्ली के बाद, संगठन की शाखाएँ कलकत्ता और बॉम्बे (अब मुंबई) में स्थापित की गईं। बाद में मद्रास (अब चेन्नई) में शाखाएँ खोली गईं। वर्तमान में देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों में इस केंद्रीय जांच एजेंसी की शाखाएं हैं।

आम आदमी ही नहीं, देश के मंत्रियों और नौकरशाहों को किसी भी तरह के वित्तीय भ्रष्टाचार के मामले में ईडी के हाथों से छूट नहीं मिलती है। ईडी की हिरासत में नौकरशाहों-मंत्रियों को कोई विशेष लाभ नहीं मिलता है। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की शक्तियों को और बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ईडी पैसे से जुड़े किसी भी मामले में स्वतंत्र रूप से कहीं भी तलाशी ले सकता है. इसके अलावा ईडी किसी व्यक्ति की संपत्ति को जब्त कर सकता है और उसे गिरफ्तार भी कर सकता है। यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग का हिस्सा है। आईआरएस, आईपीएस और आईएएस अधिकारियों के अलावा ईडी भी अलग-अलग भर्तियां करता है। ईडी में करीब दो हजार अधिकारी हैं। इनमें से करीब 70 फीसदी अधिकारी दूसरे संगठनों से प्रतिनियुक्ति पर आए हैं। बाकी ईडी के अपने कैडर हैं। 

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी की तरफ से पांच बार समन भेजा जा चुका है। लेकिन वो अभी तक पेश नहीं हुए। रांची भूमि घोटाला में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच कर रही ईडी ने सीएम सोरेन को बार-बार समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया। लेकिन वो इसे गैर कानूनी बताते हुए हाजिर नहीं हुए। इसके  साथ ही उन्होंने इस कदम को राजनीतिक से प्रेरित बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया। लेकिन वहां से उन्हें हाईकोर्ट भेज दिया गया।