विस्तारा एयर इंडिया समझौता : मर्जर पर सीसीआई ने जारी किया नोटिस, पूछा जांच क्यों नहीं होनी चाहिए?

टाटा समूह की एयरएशिया इंडिया में भी 83.67 फीसदी हिस्सेदारी है

विस्तारा एयर इंडिया समझौता : मर्जर पर सीसीआई ने जारी किया नोटिस, पूछा जांच क्यों नहीं होनी चाहिए?

नई दिल्ली : एयर इंडिया पूरी तरह टाटा संस के स्वामित्व वाली एयरलाइन है। यह देश की प्रमुख एयरलाइन है। टाटा संस ने 27 जनवरी 2022 को एयर इंडिया में 100 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। वहीं, विस्तारा अभी टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस लिमिटेड का ज्वाइंट वेंचर है। इसकी स्थापना साल 2013 में हुई थी। यह मिडिल ईस्ट, एशिया और यूरोप में अंतरराष्ट्रीय परिचालन के साथ भारत की प्रमुख फुल-सर्विस एयरलाइन है। टाटा समूह की एयरएशिया इंडिया में भी 83.67 फीसदी हिस्सेदारी है। शेष 16.33 फीसदी हिस्सेदारी मलेशियाई समूह एयरएशिया के पास है। नवंबर में दोनों पक्षों ने एयरलाइनों का विलय करने की योजना की घोषणा की थी। विस्तारा में टाटा ग्रुप और सिंगापुर एयरलाइंस की 51.49 फीसदी हिस्सेदारी है। विलय सौदे के तहत, सिंगापुर एयरलाइंस ने 25.1 फीसदी हिस्सेदारी के लिए एयर इंडिया की शेयर पूंजी में 2,059 करोड़ रुपये निवेश करने का निर्णय लिया है। टाटा ग्रुप के पास शेष हिस्सेदारी बनी रहेगी। दोनों पक्षों को यह सौदा मार्च 2024 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।

राष्ट्रीय एंटीट्रस्ट निकाय विस्तारा के साथ एयर इंडिया के नियोजित विलय की जांच कर रहा है और कंपनी से पूछा है कि प्रतिस्पर्धा संबंधी चिंताओं पर आगे की जांच क्यों नहीं की जानी चाहिए। यह पूर्व सरकारी स्वामित्व वाली एयर इंडिया के लिए एक नई चुनौती है, जिसे टाटा समूह ने पिछले साल अपने हाथ में ले लिया था। एयरलाइन के पास अपने बेड़े, परिचालन प्रणालियों और राजस्व प्रबंधन को आधुनिक बनाने की महत्वाकांक्षी योजना है। टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को भेजा है। टाटा ने अपने आवेदन में कहा है कि विस्तारा और एयर इंडिया के विलय से प्रतिस्पर्धी परिदृश्य में कोई बदलाव नहीं आएगा। यह आवेदन सोमवार को सौंपा गया था। 

इससे पहले, सीसीआई ने दोनों एयरलाइंस को नोटिस जारी कर कारण पूछा था कि विलय के प्रभाव की जांच क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए। प्रतिस्पर्धा कानून के अनुसार, सौदे के बारे में संभावित प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं के बारे में चिंता होने पर एंटीट्रस्ट निकाय के पास विलय या अधिग्रहण के लिए हरी झंडी देने से पहले पूरी तरह से जांच करने की शक्ति है। यदि यह सौदा सफल होता है, तो यह एयर इंडिया को देश की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय वाहक और दूसरी सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन बना देगा। एयर इंडिया, जिसे टाटा समूह ने पिछले साल अधिग्रहण किया था, अपने बेड़े, परिचालन प्रणालियों और राजस्व प्रबंधन को आधुनिक बनाना चाहता है। ऐसे किसी भी सौदे के लिए सीसीआई की मंजूरी विभिन्न चरणों से होकर गुजरती है। मंजूरी का पहला चरण 30 दिनों के भीतर दिया जाता है, जिसमें उसे लगता है कि विलय से प्रतिस्पर्धा कम होने की संभावना नहीं है। एक बार जब समीक्षा प्रक्रिया अगले चरण में प्रवेश कर जाती है, तो सीसीआई आगे की समीक्षा के लिए संबंधित हितधारक को एक नोटिस भेजता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाटा ग्रुप के पास नोटिस का जवाब देने के लिए 30 दिन का समय है।