एसवाईएल पर अगले निर्णय का इंतजार, हिमाचल के रास्ते पानी लाने पर विचार

श्री खट्टर ने गुरुवार को यहां कहा कि एसवाईएल नहर को लेकर उच्चतम न्यायालय के अलगे निर्णय का इंतज़ार है।

एसवाईएल पर अगले निर्णय का इंतजार, हिमाचल के रास्ते पानी लाने पर विचार

चंडीगढ़ - हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि सतलुज यमुना सम्पर्क (एसवाईएल) नहर के शेष हिस्से के निर्माण पर उच्चतम न्यायालय का फैसला हरियाणा के हक में है और उम्मीद है कि यह मुद्दा जल्द सुलझ जाएगा।

श्री खट्टर ने गुरुवार को यहां कहा कि एसवाईएल नहर को लेकर उच्चतम न्यायालय के अलगे निर्णय का इंतज़ार है। फिर भी हिमाचल प्रदेश के रास्ते पानी लाने के एक वैकल्पिक प्रस्ताव पर भी विचार किया गया है। योजना का खाका हिमाचल प्रदेश सरकार को भेजा गया है। इसके अलावा राज्य के पानी की किल्लत दूर करने के लिये कई वर्षों से लंबित किशाऊ, लखवार और रेणुका बांध परियोजनाओं को सिरे चढ़ाने की भी उनकी सरकार ने पहल की है। इस सम्बंध में केंद्र सरकार से किये गए आग्रह पर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के मुख्यमंत्री एक मंच पर आये और आपसी समझौतों पर हस्ताक्षर किये। इनमें से किशाऊ बांध परियोजना को बहुउद्देशीय राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है।

उन्हाेंने राज्य के सिंचाई विभाग, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, पंचायत विभाग, तालाब प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, शहरी स्थानीय निकाय, वन, शिक्षा आदि विभागों को जल संरक्षण कार्यों में सहयोग देने का आह्वान किया ताकि जल बचाओ अभियान सफल बनाया जा सके।

श्री खट्टर जलवायु परिवर्तन के चलते भविष्य के वैश्विक जल संकट के प्रति काफी चिंतित हैं। कोरोनाकाल में जब हर कोई घर पर रहने को मजबूर था तो उस समय उन्होंने भावी पीढ़ी को जमीन के साथ पानी भी विरासत में मिले इसके लिए 'मेरा पानी-मेरी विरासत' एक अनूठी योजना देश के समक्ष रखी जिसकी सराहना कई मंचों में हुई है। योजना के तहत मुख्यमंत्री का लक्ष्य धान बाहुल्य जिलों में किसानों को धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल अपनाने की ओर प्रेरित किया गया। उन्होंने स्वयं प्रदेश के सभी 10 धान बाहुल्य जिलों के किसानों से सीधा संवाद किया। परिणाम यह हुआ कि 1.5 लाख एकड़ भूमि पर किसानों ने धान के बजाय अन्य फसलों को अपनाया। इसके लिए सरकार ऐसे किसानों को सात हजार प्रति एकड़ की दर से वित्तीय सहायता दे रही है। वर्ष 2023-24 में इस योजना के तहत दो लाख एकड़ क्षेत्र को धान के स्थान पर अन्य फसलों के अधीन ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार किसानों को धान की सीधी बिजाई के लिये प्रेरित कर रही है जिससे पानी की बचत होगी।

श्री खट्टर का जल संरक्षण के प्रति गम्भीरता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने हाल ही में राज्य की द्विवार्षिक एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना 2023-25 की शुरूआत की जिसके तहत राज्य में कुल पानी की उपलब्धता 20,93,598 करोड़ लीटर तथा मांग 34,96,276 करोड़ लीटर होने के चलते इसमें 14 लाख करोड़ लीटर के अंतराल को पूरा करना है। जल संरक्षण के लिए गत दिनों पंचकूला में दो दिवसीय जल सम्मेलन का आयोजित किया गया जिसमें प्रशासनिक सचिवों और जल संरक्षण पर कार्य कर रहे देश-विदेश के विशेषज्ञों ने भाग लिया था। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य गिरते भूजल स्तर के मद्देनजर एक एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन रणनीति और दृष्टिकोण पर चर्चा करना था।

उन्हीं के इनपुट के आधार पर द्विवार्षिक एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना (2023-25) तैयार की गई।