डेटा संरक्षण विधेयक का ड्राफ्ट कैबिनेट से मंजूर

मानसून सत्र में पेश होगा बिल, जानें हमारे-आपके लिए क्या बदलेगा?

डेटा संरक्षण विधेयक का ड्राफ्ट कैबिनेट से मंजूर

नई दिल्ली : संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा निजता को मौलिक अधिकार मानने के लगभग छह साल बाद, केंद्र ने डेटा की सुरक्षा के लिए कानून बनाने का दूसरा प्रयास किया है। डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2022 का मसौदा नवंबर में जारी किया गया था। 20 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में इसे पेश किए जाने की उम्मीद है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद के मॉनसून सत्र में पेश करने के लिए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी गई। विधेयक की सामग्री संसद में लाए जाने तक गोपनीय रहेगी।

क्या कहता है यह बिल?

डेटा को सिर्फ तभी तक स्टोर किया जाना चाहिए जब तक उसका मकसद पूरा ना हो जाए।

डेटा के प्रयोग को लेकर कंपनियों के लिए और कड़े नियम-कानून तैयार किए जाएंगे।

जो कंपनियां डेटा ब्रीच रोकने में नाकाम रहेंगी उन पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार नवंबर के मसौदे में विशेषज्ञों द्वारा चिह्नित कुछ सबसे विवादास्पद मुद्दों को बरकरार रखा गया है। इनमें केंद्र और उसकी एजेंसियों को व्यापक छूट देना और डेटा सुरक्षा बोर्ड की भूमिका को कमजोर करना शामिल है। विधेयक, एक बार कानून बनने के बाद अन्य देशों और विशेष रूप से यूरोपीय संघ जैसे क्षेत्रों के साथ भारत की व्यापार वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिनके सामान्य डेटा संरक्षण नियम (जीडीपीआर) दुनिया के सबसे व्यापक गोपनीयता कानूनों में से एक हैं।

क्यों लाया जा रहा है ये बिल

इसे पसनल डेटा को सेफ रखने के लिए लाया जा रहा है। यूजर को पर्सनल डेटा को शेयर करने, मैनेज करने या हटाने का हक होगा। अगर पसनल डेटा प्रोसेस करने वाली यूनिट किसी भी नियम का उल्लंघन करती हैं या डेटा में बदलाव करती हैं तो उन पर 250 करोड रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। विवाद के मामले में डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड फैसला करेगा। 2019 में संसद में पेश होने के बाद ही इसे जेपीसी को भेज दिया गया था। इस साल अप्रैल में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि नया बिल तैयार हो गया है।

बिल की 5 बड़ी बातें

आपका निजी डेटा क्या है 

आपके निजी डेटा का इस्तेमाल कौन लोग कर सकते हैं, किस कारण के लिए कर सकते हैं।

आपके डेटा का संरक्षण और जो लोग उस डेटा को इस्तेमाल करेंगे उसकी निगरानी के लिए एक अथॉरिटी बनाई गई है। 

अगर इस कानून के अंतर्रगत प्रावधानों के उल्लंघन पर सजा मिलेगी।

एक डेटा होल्डर के रूप में आपके क्या कर्तव्य हैं और डेटा इस्तेमाल करने वाले की पाबंदियां और कर्तव्यों के बारे में बताया गया है। 

बिल का इतिहास काफी पुराना

इस बिल का इतिहास काफी लंबा है और काफी समय से इसको लेकर चर्चा होती रही। यह विधेयक 2017 में न्यायाधीश के. एस. पुट्टास्वामी बनाम केंद्र सरकार के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के नतीजे के तौर पर आया है, जिसमें निजता को मौलिक अधिकार के तौर पर मान्यता दी गई थी। अपने फैसले में उन्होंने केंद्र सरकार को एक मजबूत डाटा संरक्षण कानून लाने का निर्देश दिया था। इसके बाद न्यायाधीश बीएन श्रीकृष्णा के मार्गदर्शन में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था, जिसने जुलाई 2018 में निजी डाटा संरक्षण बिल 2018 का प्रस्ताव रखा था।