पुस्तकालय ‘नॉलेज मॉल’ के रूप में हो विकसित : जैन

हमें परम्परागत ढंग से पुस्तकालयों के संचालन के बजाय उनको ‘नॉलेज मॉल‘ बनाने की दिशा में आगे बढऩा चाहिए

पुस्तकालय ‘नॉलेज मॉल’ के रूप में हो विकसित : जैन

जयपुर : तकनीक के बदलते दौर में पुस्तकालय को नई जनेरशन की आवश्यकता और सुविधाओं का ध्यान रखते हुए नवाचार करने एवं इसे नॉलेज मॉल के रुप में विकसित करने की जरुरत है। स्कूल शिक्षा तथा भाषा एवं पुस्तकालय विभाग के शासन सचिव नवीन जैन ने शुक्रवार को जयपुर में ‘तकनीकी युग में पुस्तकालयों की प्रासंगिकता एवं चुनौतियां’ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में यह बात कही। उन्होंने उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि पुस्तकालयों में बड़े रीडिंग कॉर्नर के साथ ऑडियो-वीडियो रूम जैसे अध्ययन के आधुनिक तौर तरीको को अपनाने से पाठकों की संख्या में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि हमें परम्परागत ढंग से पुस्तकालयों के संचालन के बजाय उनको ‘नॉलेज मॉल‘ बनाने की दिशा में आगे बढऩा चाहिए।

जयपुर के राधाकृष्णन राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय में पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ. एस. आर. रंगनाथन की जयंती के मौके पर राजस्थानी मेडिकल पुस्तकालय संघ (आरएमएलए) के सहयोग से आयोजित इस संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि रीडर्स की पढऩे की जिज्ञासा और रूचि की पूर्ति के लिए लाईब्रेरीज की दुनियां में आज ऑडियो बुक से लेकर किंडल प्लेटफार्म और अब ‘आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस‘ (आई) का दौर आ गया है। पुस्तकालयों को नए जमाने की ऐसी तकनीक और बदलावों को परम्परागत पद्धति के साथ समाहित करने की आवश्यकता है। तकनीक से टकराव की प्रवृति को त्यागना होगा।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में भाषा एवं पुस्तकालय विभाग के तहत संचालित राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालयों में भी नई तकनीक और नवाचारों को अपनाते हुए उन्हें और अधिक ‘रीडर्स फ्रेंडली‘ बनाने की दिशा में पहल और प्रयास किए जा रहे है। केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा में पुस्तकालय एवं सूचना विभाग के प्रोफेसर दिनेश गुप्ता ने गोष्ठी के शुरुआती सत्र में कहा कि डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के युग में लाईब्रेरीज को ‘लाइफ लॉन्ग लनर्स‘ की जरूरतों को पूरा करने की सोच के साथ कार्य करना होगा।

सत्र की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान विश्वविद्यालय में दक्षिण एशिया अध्ययन केन्द्र के पूर्व निदेशक प्रोफेसर करोरी सिंह ने पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के क्षेत्र में रिसर्च और इनोवेशन पर बल देते हुए कहा कि लाइब्रेरीज नए बदलावों को अपनाने के लिए तैयार करना होगा। उन्होंने लाईब्रेरीज की दुनियां में एआई जैसी तकनीक के फायदे बताते हुए इनको अपनाने के लिए लाईब्रेरियन और इनके संचालन से जुड़े कार्मिकों की ‘कैपेसिटी बिल्डिंग‘ को अहम बताया। भाषा एवं पुस्तकालय विभाग की निदेशक सोविता माथुर ने कहा कि प्रदेश के पुस्तकालयों के जरिए रीडर्स और स्टूडेंट में लर्निंग का माहौल क्रिएट करने की दिशा में विशेष कार्ययोजना बनाकर प्रयास किए जाएंगे।