देश में अपनी तरह का अनूठा होगा अम्बाला में शहीद स्मारक

इस स्मारक में तकनीक और इतिहास का अनूठा संगम होगा। स्मारक का निर्माण अब अंतिम चरण में हैं और इसमें इतिहास की जानकारियों को रोचक ढंग से प्रदर्शित करने के लिए आज दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में इतिहासकारों के साथ एक बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव तथा सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल ने की।

देश में अपनी तरह का अनूठा होगा अम्बाला में शहीद स्मारक

चण्डीगढ़ - हरियाणा के अम्बाला छावनी में निर्माणाधीन शहीद स्मारक देश मेें अपनी तरह का अनूठा हाेगा होगा जिसमें आजादी के आंदोलन में राज्यवासियों के दिये गये योगदान को आकर्षक ढंग से प्रदर्शित किया जाएगा ताकि शहीदों के जीवन और उनकी वीरता से युवा वर्ग प्रेरणा ले सकें।

इस स्मारक में तकनीक और इतिहास का अनूठा संगम होगा। स्मारक का निर्माण अब अंतिम चरण में हैं और इसमें इतिहास की जानकारियों को रोचक ढंग से प्रदर्शित करने के लिए आज दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में इतिहासकारों के साथ एक बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव तथा सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल ने की।

बैठक में बताया गया कि इस स्मारक में प्रत्येक कक्ष में इतिहास से जुड़ी कौन सी सामग्री किस दीवार पर कितने आकार में प्रदर्शित की जानी है, इसे लेकर विस्तृत योजना अगले 15 दिन में तैयार कर समिति के सभी सदस्यों के साथ सांझा की जाएगी और उस पर उनके सुझाव मांगे जाएंगें। सभी के सुझाव प्राप्त होने के बाद इस बारे में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि स्मारक में फोटोयुक्त पैनल लगाने के अलावा, लाइट एंड साउंड से इतिहास और आधुनिक हरियाणा की गौरव यात्रा दिखने को मिलेगी। इसमें 1857 के प्रथम आजादी के संग्राम से लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आईएनए का आजादी की लड़ाई में योगदान और उस दौरान अंग्रेजी शासन में हरियाणा वासियों द्वारा सही गईं यातनाओं का सचित्र वर्णन होगा। स्मारक में हरियाणा के समृद्ध इतिहास का पता चलेगा। उन्होंने आशा जताई कि अक्टूबर तक यह स्मारक पूर्ण रूप से तैयार हो जाएगा और इसे आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा।

समिति के सदस्य एवं भारतीय इतिहास परिषद अनुसंधान के अध्यक्ष प्रो राघवेन्द्र तंवर ने इस दौरान कहा कि इस वृहद आकार और इतिहास से जुड़े तथ्यों को समावेश करने का यह स्मारक पूरे देश में अपनी तरह का अनूठा होगा। उन्होंने कहा कि आज की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सभी सदस्य लाल किला में स्थापित 1857 की पहली लड़ाई पर आधारित संग्रहालय तथा अभिलेख विभाग के तैयार किए गए संग्रहालय का अवलोकन कर लें ताकि उनमें यदि किसी प्रकार की कमी रही हो तो उसे अम्बाला स्मारक में पूरा कर लिया जाए।