पीएचडी की मानक उपाधि से विभूषित हुए डॉ. सुनील बसताड़ा

पत्रकारिता व समाजिक जागरूकता के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान पर मिला सम्मान, -सोशल अवेयरनेस एंड पीस यूनिवर्सिटी (एसएपीयू) फ्लोरिडा, यूएसए ने दिया 'गौरव रत्न सेवा सम्मान-2022

पीएचडी की मानक उपाधि से विभूषित हुए डॉ. सुनील बसताड़ा

यमुनानगरर-  'विजय रथ पर ऐसे ही नहीं सवार हुआ जाता, पहले अग्निपथ पर चलना पड़ता हैÓ। ये चंद अल्फाज जिला यमुनानगर के सूचना एवं लोक संपर्क अधिकारी डॉ. सुनील बसताड़ा पर सटीक बैठते हैं। जिन्होंने संघर्षशील जीवन पद पर चलते हुए हमेशा अपना हर कदम राष्ट्रहित व समाजहित को लेकर आगे बढ़ाया है। पत्रकारिता को सेवा का आधार बनाकर उन्होंने अपनी कलम से हमेशा समाज व देश को नई दिशा देने का काम किया है।

राष्ट्रवादी व मानवतावादी विचारों के धनी डॉ. सुनील बसताड़ा की इन्हीं उपलब्धियों को देखते हुए 18 दिसंबर रविवार को सोशल अवेयरनेस एंड पीस यूनिवर्सिटी (एसएपीयू) फ्लोरिडा, यूएसए ने उन्हें जयपुर (राजस्थान)  में पत्रकारिता व समाजिक जागरूकता में उत्कृष्ट कार्य को लेकर पीएचडी की मानक उपाधि से नवाजा। रेनबो चैरिटी यूनिवर्सल ट्रस्ट व राष्ट्रवादी सर्व समाज विकास मंच के सहयोग से आयोजित इस 'प्रतिभा सम्मानÓ समारोह में उन्हें यह सम्मान कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में पहुंचे जस्टिस यू.सी.बारूपाल.के कर कमलों द्वारा दिया गया। इस उपाधि के साथ ही डॉ. सुनील बसताड़ा को 'गौरव रत्न सेवा सम्मान 2022ÓÓ से भी विभूषित किया गया। आपको बता दें कि डॉ. सुनील को विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य को लेकर अनेकों अवार्ड व सम्मान मिल चुके हैं। जिसमें कर्मयोगी अवार्ड व हिन्दी दिवस सम्मान, उत्कृष्ट पत्रकारिता सम्मान इत्यादि शामिल हैं।


कार्य के प्रति ईमानदारी और असहायों के प्रति जिम्मेवारी कभी नहीं भूलते 'डॉ. सुनील
ईमानदारी व निष्ठा के साथ अपने कार्य को करने वाले डॉ. सुनील बसताड़ा असहाय लोगों की मदद करना कभी नहीं भूलते। वे सालों से गरीब बच्चों की शिक्षा में मदद करते आ रहे हैं। इसके साथ ही जरूरतमंद परिवारों की बेटियों की शादी करवाना, सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाना, दहेज प्रथा रोकथाम, गरीबी उन्मूलन, स्वच्छता अभियान, नारी सम्मान सहित अन्य समाजहित व देशहित को लेकर आवाज उठा रहे हैं। इसके साथ ही राष्ट्रवादी शोषित समाज सभा का गठन कर आमजन खासकर युवा पीढ़ी को राष्ट्र प्रेम के प्रति जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं। 


अपने माता-पिता के बाद शांति दूत प्रेमपाल रावत को मानते हैं अपना आदर्श \


2 सिंतबर 1974 को जिला करनाल के गांव बसताड़ा में एक मध्यम वर्गी परिवार में जन्म हुआ। पिता सुगन चंद हरियाणा कृषि विभाग में कर्मचारी थे। गांव से ही प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के उपरांत करनाल के डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल से हाई स्कूल परीक्षा उतीर्ण की। राजकीय महाविद्यालय ज्ञानपुरा से 11वीं कक्षा पास करने के बाद वर्ष 1991-92 में वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े। इसके बाद हिन्दी विषय में एमए की तथा कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता का कोर्स किया और अपनी लेखनी के साथ पत्रकारिता का सफर शुरू किया। डॉ. सुनील बसताड़ा जीवन में अपने माता-पिता के बाद अन्तर्राष्ट्रीय शांति दूत प्रेमपाल रावत को अपना आदर्श मानते हैं जबकि सामाजिक रूप से प्रो. राजेंद्र उर्फ रज्जू भैया से प्रेरित हैं। 

''भीड़ में शोर मचाने वाले, अक्सर भीड़ का ही बन जाते हैं, जब कि खामोशी से मेहनत करने वाले लोग एक दिन अपने मुकाम को जरूर हासिल कर जाते हैं। इसलिए मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि मुझे जो ये पत्रकारिता व समाजिक जागरूकता में उत्कृष्ट कार्य को लेकर पीएचडी की मानक उपाधि मिली है उसका श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है। जिनकी शिक्षा, संस्कार और प्रेरणाओं ने मेरा हमेशा मार्गदर्शन किया। और मैं पत्रकारिता व सामाजिक कार्यों से जुड़े अपने हर साथी से यहीं कहना चाहूंगा कि '' सकारात्मक पत्रकारिता से समाज का भला कीजिए।