हरियाणा सरकार ने यमुना एक्शन प्लान तैयार किया-मूलचंद शर्मा
सभी 11 नालों में प्रदूषण के नियंत्रण की परिकल्पना की गई है, जिनसे यमुना नदी में उपचारित या अनुपचारित बहिःस्राव गिरता है। इन नालों में प्रदूषण के नियंत्रण से प्रदूषित जल यमुना नदी में नहीं जाएगा, जिससे आगरा व गुड़गांव नहर निकलती हैं।
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चंडीगढ़ - हरियाणा सरकार ने यमुना एक्शन प्लान तैयार किया है, जिसमें हरियाणा के उन सभी 11 नालों में प्रदूषण के नियंत्रण की परिकल्पना की गई है, जिनसे यमुना नदी में उपचारित या अनुपचारित बहिःस्राव गिरता है। इन नालों में प्रदूषण के नियंत्रण से प्रदूषित जल यमुना नदी में नहीं जाएगा, जिससे आगरा व गुड़गांव नहर निकलती हैं।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल और मुख्य सचिव के स्तर पर नियमित रूप से इसकी समीक्षा की जा रही है। सीवरेज और औद्योगिक प्रवाह के उपचार में शामिल सभी हितधारक विभागों-जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, शहरी स्थानीय निकाय विभाग, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, एच.एस.आई.आई.डी.सी. और जी.एम.डी.ए. कार्य योजना के कार्यान्वयन के संबंध में की गई कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बैठक में भाग लेते हैं।
उन्होंने बताया कि कार्य योजना में मौजूदा एस.टी.पी. तथा सी.ई.टी.पी. का निर्माण व उन्नयन, गैर-अनुमोदित क्षेत्रों से सीवेज डालने पर रोक, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जल प्रदूषणकारी उद्योगों की नियमित निगरानी और ऐसे उद्योगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करना आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्य योजना के क्रियान्वयन के फलस्वरूप पिछले कुछ वर्षों में आगरा नहर के पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। वर्ष 2017 में बायो-केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बी.ओ.डी.) 40 था, जो वर्ष 2022 के दौरान 27 रहा। उन्होंने बताया कि कार्य योजना के क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप निकट भविष्य में समस्या का समाधान होने जा रहा है। शीघ्र ही पड़ोसी राज्य के मुख्यमंत्री के साथ एक अंतर्राज्यीय बैठक भी आयोजित की जाएगी।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 के दौरान जिला फरीदाबाद में बदरपुर सीमा पर आगरा नहर में बी.ओ.डी. के संदर्भ में प्रदूषकों की स्थिति 24 से 32 मिलीग्राम प्रति लीटर के बीच है। यह इंगित करता है कि नदी दिल्ली क्षेत्र में बुरी तरह से प्रदूषित हो रही है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में 2874 एम.एल.डी. क्षमता के एस.टी.पी. स्थापित किए गए हैं, जबकि इसमें 3491 एम.एल.डी. का सीवेज पैदा हो रहा है। लेकिन एस.टी.पी. का क्षमता उपयोग 2714 एम.एल.डी. है, जो बिना सीवर वाले क्षेत्र को दर्शाता है। इस प्रकार, दिल्ली में एस.टी.पी. की उसकी स्थापित क्षमता से अधिक सीवेज पैदा हो रहा है। काफी हद तक यह अनुपचारित सीवेज इन नालों के नेटवर्क के माध्यम से यमुना नदी में छोड़ा जा रहा है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली सरकार ने भी एक विस्तृत रणनीति तैयार की है और एक कार्य योजना प्रस्तुत की है। कार्य योजना में, अन्य बातों के साथ-साथ, मौजूदा एस.टी.पी. और सी.ई.टी.पी. में बढोतरी, आधुनिकीकरण, संशोधन, नए एस.टी.पी./सी.ई.टी.पी. की स्थापना शामिल है ताकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के पूरे क्षेत्र के घरेलू व औद्योगिक सीवेज और अपशिष्ट को काबू किया जा सके और यमुना नदी में किसी भी ठोस अपशिष्ट को डालने से रोकने के लिए कदम उठाए जा सकें, फिर चाहे वह निर्माण मलबा हो या पूजा सामग्री/प्रसाद या नगरपालिका अपशिष्ट आदि हो।
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