दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह ने चुनाव में कार्यकताओं के लिये मंगवाई थी 1000 साइकिल
महाराज के सलाहकार कुमार गंगानंद सिंह नहीं चाहते थे कि दरभंगा नॉर्थ सीट से कामेश्वर सिंह चुनाव लड़े
![दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह ने चुनाव में कार्यकताओं के लिये मंगवाई थी 1000 साइकिल](http://suprabhatnews.com/uploads/images/202405/image_750x_663f139d22378.jpg)
पटना : दरभंगा के अंतिम महाराज कामेश्वर सिंह ने दरभंगा नार्थ सीट पर वर्ष 1952 में हुये पहले लोकसभा चुनाव में प्रचार करने की खातिर अपने कार्यकर्ताओं के लिये 1000 साइकिल मंगवाई थी। वर्ष 1952 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और दरभंगा के महाराजा कामेश्वर सिंह के बीच जमींदारी उन्मूलन कानून को लेकर मतभेद हुये थे। कामेश्वर सिंह दरभंगा नार्थ सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी थे। बताया जाता है कि महाराज के सलाहकार कुमार गंगानंद सिंह नहीं चाहते थे कि दरभंगा नॉर्थ सीट से कामेश्वर सिंह चुनाव लड़े। इसका कारण इस इलाके के लोगों का रुझान पंडित जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस पार्टी की तरफ होना था। इस कारण उन्हें कोसी इलाके से चुनाव लड़ने की सलाह दी गई थी। झारखंड के राजनेता जयपाल सिंह मुंडा की इच्छा थी कि कामेश्वर सिंह उनके इलाके से चुनाव मैदान में उतरें लेकिन दरभंगा महाराज अपनी जिद पर अड़े रहे और उन्होंने दरभंगा नार्थ लोकसभा सीट से ही निर्दलीय चुनाव लड़ा।
दरभंगा महाराज को इस चुनाव में चुनाव चिह्न साइकिल छाप मिला था। प्रचार-प्रसार के लिये उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के लिये 1000 साइकिल मंगवाई थी। एक हजार साइकिल चुनाव से महज दो दिन पहले पहुंची। ऐसी स्थिति में कार्यकर्ताओं को साइकिल समय पर नहीं मिली। इससे उनमें नाराजगी के साथ उदासी रही। दरभंगा महाराज को जब सच्चाई की जानकारी मिली तो उन्होंने प्रबंधन टीम पर नाराजगी जाहिर करते हुए चुनाव बाद कार्यकर्ताओं के घर पर साइकिल भिजवा दी।
चुनाव के दौरान कांग्रेस आलाकमान की नजर दरभंगा नार्थ सीट पर थी, कार्यकर्ताओं को गाड़ियां मुहैया कराई गई थीं। कामेश्वर सिंह के चुनाव प्रचार का भी तरीका अनोखा था। वह ताम झाम से दूर सिर पर पाग रख कर लोगों से मिलते थे। कामेश्वर सिंह की जितनी चर्चा बिहार के बाहर थी, उतनी ही दरभंगा में भी लोग उन्हें देखना और सुनना चाहते थे। इलाके में उन दिनों यह चर्चा का विषय था कि महाराज साहब चुनाव लड़ रहे हैं। उस दौरान कामेश्वर सिंह अपने चुनाव प्रचार में न तो गाड़ियों का काफिला लेकर चलते थे और न ही मंच पर कुर्सी रखते थे। अपने प्रचार के दौरान वे सफेद रंग की टोपी या फिर मिथिला पाग पहनते थे।
चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी श्यामनंदन मिश्रा ने निर्दलीय प्रत्याशी दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह को पराजित किया था। इस चुनाव में हार मिलने के बाद दरभंगा महाराज ने फिर कभी चुनाव नहीं लड़ा। वर्ष 1952 में कामेश्वर सिंह, जयपाल सिंह की मदद से राज्यसभा के सदस्य चुने गये। वह वर्ष 1952 से 1958 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। इसके बाद 1960 में दोबारा राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुये। वर्ष 1962 में उनका निधन हो गया। इस बार दरभंगा सीट पर बिहार में चौथे चरण के तहत 13 मई को चुनाव है।