एलन मस्क ने किया भारत का समर्थन, UNSC में वैश्विक देशों के सदस्यों के बारे में रखी अपनी बात

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता को लेकर दुनिया के सबसे अमीर इंसान एलन मस्क का साथ भी भारत को मिल गया है।

एलन मस्क ने किया भारत का समर्थन, UNSC में वैश्विक देशों के सदस्यों के बारे में रखी अपनी बात

अफ्रीका : टेस्ला कंपनी के सीईओ एलन मस्क ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन किया है। एलन मस्क ने इस दौरान वैश्विक देश के सदस्यों के संबंध में अपनी बात रखी।

यानी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता को लेकर दुनिया के सबसे अमीर इंसान एलन मस्क का साथ भी भारत को मिल गया है। एलन मस्क ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। भारत को संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्यता नाम देना बेहद हास्यास्पद हैं पद है।

अफ्रीका को संयुक्त राष्ट्र की स्थाई सदस्यता देने की मांग को लेकर हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस के एक ट्वीट के जवाब में एलन मस्क ने ये बात कही है। एलन मस्क ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के निकायों को समीक्षा करने की जरूरत है। इस संबंध में उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि संयुक्त राष्ट्र के निकायों की समीक्षा होनी चाहिए।

परेशानी यह है कि जिन देशों के पास ज्यादा ताकत है वो इसे छोड़ना नहीं चाहते। धरती पर भारत की सबसे अधिक आबादी है लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता नहीं है यह बेहद हास्‍यास्‍पद है। बता दें कि पहले संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने पोस्ट कर कहा था कि हम इसे कैसे स्वीकार कर सकते हैं कि अफ्रीका एक भी स्थाई सदस्य सुरक्षा परिषद में नहीं है।

एंटोनियो का कहना है कि संस्थानों को 80 साल पहले की दुनिया को नहीं बल्कि आज की दुनिया को दिखाना चाहिए। शिखर सम्‍मेलन सितंबर में होने वाला है जिसमें वैश्विक प्रशासन पर फिर से विचार करने और विश्वास को बहाल करने का मौका होगा।

बता दें कि टेस्ला के सीईओ एलन मस्क का ये समर्थन ऐसे समय में आया है जब भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्थायी सदस्या के संबंध में बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि दुनिया कोई भी चीज आसानी से नहीं देती है। कई बार लेना भी पड़ता है।

बता दें कि चीन भारत का सबसे बड़ा अवरोध है। चीन को डर है कि भारत को स्थायी सदस्यता मिलते है एशिया में चीन का प्रभुत्व कम होगा। इस कारण वो इस महत्वपूर्ण संस्था से भारत की दावेदारी को बाहर रखने के भरपूर प्रयास करने में जुटा हुआ है।