नरेंद्र मोदी के बयान पर गहलोत ने जताई आपत्ती

बोले- आपने 2023-24 चुनाव को देखते हुए भाषण दिया

नरेंद्र मोदी के बयान पर गहलोत ने जताई आपत्ती

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फें्सिंग के जरिए अजमेर-दिल्ली छावनी वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई। इस दौरान उन्होंने भारत के पूर्व रेल मंत्रियों को लेकर कुछ ऐसा बयान दिया जिस पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी आपत्ति जताई है। अशोक गहलोत ने साफ तौर पर कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना भाषण 2023 विधानसभा चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने रेलवे के महत्व को कम करने का प्रयास किया है। अशोक गहलोत इसको लेकर अपने ट्विटर हैंडल पर एक स्टेटमेंट जारी किया है। 

गहलोत ने लिखा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, मुझे दुख है कि आज आपने मेरी मौजूदगी में 2014 से पूर्व के रेलमंत्रीगणों लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवनराम, सरदार स्वर्ण सिंह, गुलजारी लाल नंदा, के हनुमानथईया, ललित नारायण मिश्र, कमलापति त्रिपाठी, मधु दंडवते, पीसी सेठी, एबीए गनीखान चौधरी, मोहसिना किदवई, माधवराव सिंधिया, जॉर्ज फर्नांडीस, जनेश्वर मिश्र, सीके जाफरशरीफ, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार, राम नायक, ममता बनर्जी, मल्लिकार्जुन खडगे सहित सभी के कार्यकाल के फैसलों को भ्रष्टाचार एवं राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित बोलना दुर्भाग्यूर्ण है। राजस्थान के मुख्यमंत्री ने आगे कहा, रेलवे का महत्व कम करने का प्रयास तो आपने अपने कार्यकाल में अलग रेलवे बजट को समाप्त कर किया है। आज अगर आधुनिक ट्रेन चल पा रही है क्योंकि डॉक्टर मनमोहन सिंह जी ने वित्त मंत्री के रूप में 1991 में आर्थिक उदारीकरण किया और नई तकनीक को भारत में विकसित होने का अवसर दिया। पूरी दुनिया में समय के साथ टेक्नॉलिजकल एडवांस्मेंट हुए हैं जिनसे भारत में भी नई तकनीक आई है और रेलवे में सुधार हुए हैं। यह कहना उचित नहीं है कि रेलवे में विकास कार्य 2014 के बाद ही हुए हैं। उन्होंने कहा, आज आपका भाषण पूरी तरह 2023-24 के विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों को देखते हुए दिया है एवं यह भारतीय जनता पार्टी के चुनावी एजेंडे के रूप में था। मेरा मानना है कि आपकी ऐसी टिप्पणियां प्रदेशवासियों एवं देशवासियों के गले नहीं उतरेंगी।

मोदी ने कहा था कि आजादी के बाद रेलवे के आधुनिकीकरण पर हमेशा राजनीतिक स्वार्थ हावी रहा। राजनीतिक स्वार्थ को देख कर ही तय किया जाता था कि कौन रेल मंत्री बनेगा, राजनीतिक स्वार्थ ने ही ऐसी-ऐसी ट्रेनों की घोषणा करवाई जो कभी चली ही नहीं। उन्होंने कहा था कि हालत यह थी कि गरीब की जमीन छीन कर उन्हें रेलवे में नौकरी का झांसा दिया गया। रेलवे की सुरक्षा... स्वच्छता सबकुछ को नजरअंदाज कर दिया गया था। इन सारी व्यवस्थाओं में बदलाव वर्ष 2014 के बाद आना शुरू हुआ।