शांति सैनिकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग जरूरी : राजनाथ

राष्ट्रों से नवाचारी दृष्टिकोण अपनाने और अधिक से अधिक सहयोग करने का आह्वान किया

शांति सैनिकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग जरूरी : राजनाथ

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि प्रभावित क्षेत्रों में तैनात संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नवाचार और अधिक से अधिक सहयोग समय की मांग है।

श्री सिंह ने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना तंत्र के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मंगलवार को यहां भारतीय सेना द्वारा आयोजित एक विशेष सेमिनार को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की सुरक्षा और उनकी तैनाती के उद्देश्य की सफलता सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार राष्ट्रों से नवाचारी दृष्टिकोण अपनाने और अधिक से अधिक सहयोग करने का आह्वान किया।

रक्षा मंत्री ने शांति सैनिकों के सामने आ रही नई-नई चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए उनकी सुरक्षा और उनके अभियान की सफलता के लिए प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और संसाधनों में अधिक से अधिक निवेश करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने शांति अभियानों में महिलाओं की सार्थक भागीदारी का समर्थन करते हुए इस बात पर जोर दिया कि संघर्ष से प्रभावित क्षेत्रों में चलाए जा रहे मिशन के दौरान उनके विशिष्ट योगदान को भी मान्यता दी जानी चाहिए।

श्री सिंह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र के निर्णय लेने वाले निकायों को दुनिया की जनसांख्यिकीय वास्तविकताओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भारत सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में एक सीट प्राप्त नहीं कर पाता है, तो इससे संयुक्त राष्ट्र की नैतिक वैधता कमजोर होती है। इसलिए अब संयुक्त राष्ट्र के निकायों को अधिक लोकतांत्रिक और मौजूदा वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व करने वाला बनाने का समय आ गया है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत के संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में योगदान की समृद्ध विरासत रही है और वह शांति सैनिकों के रूप में सबसे बड़ा योगदान देने वाला देश है। भारत ने अब तक शांति अभियानों में लगभग 2.75 लाख सैनिकों का योगदान दिया और अभी 12 संयुक्त राष्ट्र मिशनों में इसके लगभग 5,900 सैनिकों को तैनात है। वर्ष 1950 में कोरिया में अपनी पहली प्रतिबद्धता से लेकर अब तक भारतीय सैनिकों ने अपनी पेशेवर उत्कृष्टता के लिए सार्वभौमिक प्रशंसा अर्जित करते हुए जटिल, असहनीय शांति अभियानों में हिस्सा लिया है।

उन्होंने उन सभी भारतीयों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के रूप में सेवा की है या अभी सेवा कर रहे हैं। श्री सिंह ने कहा, हमारे साहसी सैनिक, पुलिस कर्मी और नागरिक विशेषज्ञों ने शांति स्थापना के लिए असाधारण समर्पण और अटूट प्रतिबद्धता का शानदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों और कठिन से कठिन माहौल में नि:स्वार्थ सेवा की है, शांति व्यवस्था की भावना को मूर्त रूप देते हुए संयुक्त राष्ट्र चार्टर में शामिल सिद्धांतों को बरकरार रखा है। उनकी अटूट प्रतिबद्धता, पेशेवर रुख और बलिदान हम सभी को प्रेरित करते हैं।

श्री सिंह ने कर्तव्य निभाने के दौरान अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और उन्हें सरकारी सहायता देने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने अधिक न्यायसंगत, शांतिपूर्ण और समावेशी दुनिया का निर्माण करने वाले शांति सैनिकों के बलिदान का सम्मान करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, आइए हम राष्ट्रों के बीच संवाद, समझ और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को नया रूप प्रदान करें। एक साथ मिलकर हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जहां हर व्यक्ति शांति, सद्भाव और सम्मान के साथ रह सके।

थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में भारत के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत के विश्व में विभिन्न शांति स्थापना अभियानों में लगभग 5,900 शांति सैनिक काम कर रहे हैं, जिसमें महिला कर्मचारी, अधिकारी और सैन्य पर्यवेक्षकों सहित कांगो में संयुक्त राष्ट्र संगठन स्थाईकरण मिशन में महिला कार्य दल और अबेई के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल शामिल हैं।

इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने भारत की समृद्ध और उल्लेखनीय शांति स्थापना यात्रा के एक सचित्र संकलन का भी अनावरण किया। इसके अलावा देश के शांति स्थापना इतिहास का प्रदर्शन करने वाली एक फोटो प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने वीडियो संदेश के माध्यम से इस कार्यक्रम को संबोधित किया। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, भारत के संयुक्त राष्ट्र रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोम्बी शार्प और रक्षा मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।