एमके स्टालिन से मिले केजरीवाल

तमिलनाडु सीमए बोले- आप और दिल्ली के लोगों के साथ खड़ी रहेगी डीएमके

एमके स्टालिन से मिले केजरीवाल

नई दिल्ली : दिल्ली में सेवाओं को लेकर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल लगातार विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। आज उन्होंने चेन्नई में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन से मुलाकात की। इस दौरान उनके साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और आप के कई अन्य नेता भी मौजूद रहे। मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमने आज उनसे दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र के अध्यादेश पर चर्चा की। 

केजरीवाल ने क्या कहा

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एमके स्टालिन के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि सीएम स्टालिन ने आश्वासन दिया है कि डीएमके आप और दिल्ली के लोगों के साथ खड़ी रहेगी। केजरीवाल ने यह भी कहा कि मैंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा है और मैं उनके जवाब का इंतजार कर रहा हूं। मुझे विश्वास है कि कांग्रेस को हमारा समर्थन करना चाहिए। 

एमके स्टालिन का बयान

तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने कहा कि अरविंद केजरीवाल एक अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार उपराज्यपाल का इस्तेमाल कर दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश और वहां की आप सरकार पर दबाव बना रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार दिल्ली पर अध्यादेश लाएगी और ष्ठरू्य इसका पुरजोर विरोध करेगी। हमने अन्य नेताओं के विचारों पर चर्चा की और मैं सभी नेताओं से अरविंद केजरीवाल का समर्थन करने की अपील करता हूं। 

केजरीवाल इन नेताओं से कर चुके है मुलाकात

अरविंद केजरीवाल केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे नेताओं से मिल चुके है। केंद्र ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के उद्देश्य से हाल ही में एक अध्यादेश जारी किया था। यह अध्यादेश उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली में निर्वाचित सरकार को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित मामलों को छोडक़र अन्य मामलों का नियंत्रण सौंपने के बाद लाया गया था।