बागवानी में ‘स्टैकिंग विधि’ बेहद उपयोगी - पार्थ गुप्ता

उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा सब्जियों में बांस स्टैकिंग व लोहे स्टैकिंग को प्रयोग करने के लिए सामान्य श्रेणी के किसानों को 50 प्रतिशत व एससी श्रेणी के किसान को 85 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है।

बागवानी में ‘स्टैकिंग विधि’ बेहद उपयोगी - पार्थ गुप्ता

सिरसा  -  हरियाणा के सिरसा के जिला उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने कहा है कि किसान बागवानी में ‘स्टैकिंग विधि’ का प्रयोग कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आधुनिक युग में खेती में नई-नई तकनीकों का आविष्कार किया जा रहा है, सब्जियों की खेती में ‘स्टैंकिंग’ ऐसी विधि है, जिसे अपनाकर किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा सब्जियों में बांस स्टैकिंग व लोहे स्टैकिंग को प्रयोग करने के लिए सामान्य श्रेणी के किसानों को 50 प्रतिशत व एससी श्रेणी के किसान को 85 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को बागवानी पोर्टल होर्टीनेटडॉटजीओवीडॉटइन पर ऑनलाइन आवदेन करना होगा।

उपरोक्त जानकारी देते हुए उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने बताया कि आधुनिक युग में खेती में नई-नई तकनीकें उभरकर सामने आ रही हैं। इससे किसानों को ढेरों फायदे पहुंच रहे हैं। सब्जियों की खेती में ‘स्टैंकिंग’ ऐसी ही एक विधि का नाम है, जिसे अपनाकर किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। उन्होंने बताया कि नई-नई तकनीकों से खेती करने का सबसे बड़ा फायदा होता है कि इससे ढेर सारी जानकारियां मिलती हैं और दूसरी इनसे मुनाफा और फसलों की पैदावार भी अधिक होती है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा बांस स्टैकिंग की लागत 62 हजार 500 रुपये प्रति एकड़ पर सामान्य श्रेणी के किसान को 31250 रुपये व एससी श्रेणी के किसान को 53125 रुपये का अनुदान दिया जा रहा है। वहीं लोहा स्टैकिंग लागत एक लाख 41 हजार रुपये प्रति एकड़ पर सामान्य श्रेणी के किसान को 70,500 रुपये व एससी श्रेणी के किसान को एक लाख 19 हजार 850 रुपये का अनुदान प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एससी श्रेणी के किसान के लिए बांस स्टैकिंग व लौह स्टैकिंग पर अधिकतम अनुदान क्षेत्र एक एकड़ है।

जिला बागवानी अधिकारी डा. पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि ‘स्टैकिंग विधि’ से खेती करने पर सब्जियों की फसल में सड़न नहीं होती, क्योंकि वो जमीन पर रहने की बजाए ऊपर लटकी रहती हैं। करेला, टमाटर एवं लौकी जैसी फसलों को सडऩे से बचाने के लिए उनको इस तकनीक से सहारा देना कारगर साबित होता है। पारंपरिक खेती में कई बार टमाटर की फसल जमीन के संपर्क में आने की वजह से सडऩे लगती है, लेकिन स्टैकिंग तकनीक में ऐसी दिक्कत नहीं होती।