वैटलैंड सिकुड़ने से अशियाना बदलने को मजबूर सारस

एक अनुमान के मुताबिक 90 फ़ीसदी के आसपास वेटलैंड गायब हो चुके हैं या फिर वैटलैंडो में बिल्कुल ही पानी नहीं है

वैटलैंड सिकुड़ने से अशियाना बदलने को मजबूर सारस

इटावा : अमर प्रेम के प्रतीक कहे जाने वाले सारस पक्षी उत्तर प्रदेश के इटावा में वैटलैंड सिकुड़ने से अपना आशियाना बदलने को मजबूर हो रहे हैं। कभी इटावा में 900 के आसपास वैटलैंड हुआ करते थे लेकिन आज पानी के अभाव में वैटलैंड लागतार सिकुड़ते जा रहे है। भीषण गर्मी में सारस पक्षी पानी के अभाव में बेहद कम नज़र आ रहे है। एक अनुमान के मुताबिक 90 फ़ीसदी के आसपास वेटलैंड गायब हो चुके हैं या फिर वैटलैंडो में बिल्कुल ही पानी नहीं है। पहले वेटलैंडो के आसपास 300 के आसपास तक सारस पक्षी देखे जाते थे लेकिन आज यह संख्या मात्र 20 और 30 में सिमट गई है।

पर्यावरण संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन का नेचर के महासचिव डॉ.राजीव चौहान इलाकाई भ्रमण करने के बाद बताते हैं कि भीषण गर्मी के इस मौसम में सारस पक्षी पानी के अभाव में खासी तादात में प्रभावित होते हुए देखे जा रहे हैं। इटावा में कभी 900 की संख्या में वेटलैंड देखे जाते थे लेकिन अब यह वेटलैंड बड़ी संख्या में सिकुड़ गए हैं, इस वजह से राज्य पक्षी सारस को अपने लिए नए आशियाने तलाशने पड़ रहे है।

इटावा और मैनपुरी का इलाका वर्षाे से सारसों के लिए मुफीद रहा है, लेकिन पानी का अभाव और प्राकृतिक आवासों पर लोगो का अतिक्रमण इन्हे अन्यत्र जाने को मजबूर कर दिया है। एशिया में सबसे ज्यादा सारस इटावा, मैनपुरी (समान पक्षी विहार) और सरसईनावर वेटलैंड (आर्द्रस्थल) इलाके में पाये जाते हैं। जहां कभी 2000 और 2500 की तादाद में सारस दिखाई देते थे अब वहां पानी की कमी के चलते सिर्फ 50-100 सारस ही नजर आ रहे हैं।

राज्य के पूर्व मुख्य वन्य जीव संरक्षक मोहम्मद अहसान ने बताते है कि सूबे में वेटलैंड क्षेत्र में काफी तेजी से गिरावट आई है । यहां पर दो तिहाई वेटलैंड क्षेत्र घट गया है । वेटलैंड क्षेत्र का उपयोग कृषि एवं विकास के कार्यों में किया जा रहा है। हालांकि सारसों को लेकर इटावा व मैनपुरी का क्षेत्र सारस कैपिटल के रूप में जाना जाता है । छोटे-छोटे वेटलैंड समाप्त हो रहे हैं जो सारस संरक्षण के लिए ठीक नहीं हैं । प्रदेश में सूखे की स्थिति ने भी वेटलैंड पर प्रभाव डाला है, मगर वेटलैंड केवल नहरों के ऊपर ही निर्भर हो गये ।

सारस पक्षी को लेकर पिछले साल जून माह में हुई गणना में उत्तर प्रदेश का इटावा जिला सबसे टॉप में पर आया है। राज्य पक्षी गणना में इटावा में 3280 सारस पक्षी पाए गए है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव अपने मुख्यमंत्री काल में अपने गांव सैफई में सारस संरक्षण की दिशा में अंतरराष्ट्रीय स्तर की एक दो दिनी कॉन्फ्रेंस का आयोजन करवा चुके हैं । इस कांफ्रेंस में शामिल हुए सारस विशेषज्ञों ने इलाकाई लोगो को सारस की सलामती के लिए जागरूक भी किया जिसका असर यह देखने को मिला कि इटावा मैनपुरी के गांव गांव में सारस देखे जाने लगे लेकिन हुई परिस्थितियों में सारस पक्षी खेतो से गायब होना शुरू हो गए।

दुनिया में सबसे उंचा सारस उडने वाला पक्षी किसानों का मित्र हैं । करीब 12 किलो वजन वाले सारस की लम्बाई 1.6 मीटर तथा जीवनकाल 35 से 80 वर्ष तक होता है सारस वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनूसूची में दर्ज हैं। देश में सारस की छह प्रजातियां है। इनमें से तीन प्रजातियां इंडियन सारस क्रेन , डिमोसिल क्रेन व कामन क्रेन इटावा में पाया जाता है । अनूकूल भौगोलिक परिस्थितियां सारसों को अपनी ओर आकर्षित करती रहती है, अनकूल पानी के जल क्षेत्र,धान के खेत, दलदल, तालाब, झील व अन्य जल स्त्रोत पाये जाते है। दल-दली क्षेत्रों में पाई जाने वाली घास के टयूबर्स, कृषि खाद्यान्न, छोटी मछलियां, कीड़े-मकोड़े, छोटे सांप, घोघें, सीपी आदि भोजन के तौर पर सारसों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहती है।

उल्लेखनीय है कि अग्रेंज कलक्टर ए.ओ.हृयूम के समय में इस क्षेत्र में साइबेरियन क्रेन भी आता था,जिसको देखने के लिये अब भरतपुर पक्षी विहार जाना पडता था क्योंकि 2002 साल में आखिरी बार साईबेरियन क्रेन का एक जोडा देखा गया था। इटावा के कार्यकाल मे अपने कामकाजी अंदाज के चलते ए.ओ.हयूम की पहचान पक्षी विज्ञानी के तौर पर भी पूरी दुनिया मे सामने आ चुकी है।