गन्ने के दाम में 10 रुपये बढ़ोतरी भद्दा मजाक : कुमारी सैलजा

किसान की आदमनी दोगुनी करने का नारा भूल गई भाजपा, गन्ने के दाम बढ़ाने में न महंगाई दर का ध्यान रखा, न ही किसान की हालत का

गन्ने के दाम में 10 रुपये बढ़ोतरी भद्दा मजाक : कुमारी सैलजा
चंडीगढ़। अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि गन्ने के दाम में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करना किसानों के साथ भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार का भद्दा मजाक है। किसानों की आमदनी दोगुनी करने का नारा देकर सत्ता में आई भाजपा किसानों को बर्बाद करने पर तुली हुई है। गन्ने के दाम बढ़ाने में न तो बढ़ती महंगाई दर का ही ध्यान रखा गया और न ही गन्ना पैदा करने में बढ़ी लागत और किसानों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को देखा गया।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि गन्ने की फसल चीनी मिलों में जाने से पहले ही दामों में बढ़ोतरी की जानी चाहिए थी। लेकिन, किसान विरोधी भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने ऐसा नहीं किया। किसानों की मांग के बावजूद सरकार बार-बार गन्ने के भाव में बढ़ोतरी से इंकार करती रही। अब जो दामों में बढ़ोतरी की गई है, वह किसानों के आंदोलन को देखते हुए की गई है। 
कुमारी सैलजा ने कहा कि इस साल मुद्रास्फीति की दर में 7 प्रतिशत तक बढ़ाेतरी हुई है। इससे साफ है कि किसान को पिछले साल के मुकाबले गन्ना बेचने पर 7 प्रतिशत का सीधा नुकसान होगा। पिछले साल का रेट 362 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले कम से कम 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाती तो किसान को पिछले साल के बराबर ही दाम मिलते। इस बार उसकी लागत में इजाफा भी हुआ है, इसलिए गन्ने की फसल को लाभ का सौदा बनाने के लिए दामों में और अधिक बढ़ोतरी की जानी चाहिए थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस सीजन में मिल शुरू होते ही कोई भी भाव तय करने की बजाए भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने गन्ने की फसल पर प्रति क्विंटल 7 प्रतिशत वजन कटौती का आदेश तुरंत लागू कर दिया था, ताकि चीनी मिलों को फायदा पहुंचाया जा सके। इसके विपरित पड़ौसी राज्य पंजाब में यह कटौती महज 3 प्रतिशत ही है। इससे पता चलता है कि प्रदेश सरकार पूरी तरह से किसान विरोधी है।
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