श्रीमद्भागवत कथा से मिलती है श्रापों से मुक्ति: स्वामी रामस्वरूप

प्रवचन करते हुए स्वामी रामस्वरूप ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के दौरान हम सात दिन की कथा सुन के अपने जीवन के सभी सातो दिनों को पवित्र कर लेते हैं।

श्रीमद्भागवत कथा से मिलती है श्रापों से मुक्ति: स्वामी रामस्वरूप

बराड़ा- श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने से मृत्युलोक के सभी श्रापों से मुक्ति मिलती है और अंत समय में प्राणी बैकुंठ को प्राप्त होता है। यह शब्द स्वामी रामस्वरूप ने श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के समापन अवसर पर कहे। माघ महीने के उपलक्ष्य में अधोया रोड स्थित सोहम् आश्रम में बसंत पंचमी से आरंभ हुए श्रीमद्भागवत कथा का आज माघी पूर्णिमा को हवन यज्ञ एवं भंडारा के साथ संपन्न हुआ। प्रवचन करते हुए स्वामी रामस्वरूप ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के दौरान हम सात दिन की कथा सुन के अपने जीवन के सभी सातो दिनों को पवित्र कर लेते हैं।

राजा परीक्षित को सात दिन का शाप मिला तो वे तुरंत अपने पुत्र जनमेजय को राजपाठ सौंपकर चलपड़े, परन्तु उनके मन में एक प्रश्न था, जिसे सूत जी ने बताया कि ज्ञान द्वारा अज्ञानता रूपी अंधकार का नाश करना करोड़ों सूर्य के समान है। समस्त ऋषियों ने भी प्रमाणित किया है कि भागवत को पढऩे व श्रवण से वैकुंठ की प्राप्ति निश्चित होती है। स्वामी रामस्वरूप जी ने कहा कि जीवन में प्रश्नो का होना बहुत महत्वपूर्ण है, अबोध बालक जो कुछ नहीं जानता वह भी एक दिन में न जाने कितने सारे प्रश्न करता है। फिर हम भी तो परमात्मा के विषय में अबोध हैं, कुछ जानते नहीं, हमारे पण्डित जी ने जो कहा उसी के आधार पर हमारी पूजा बढ़ जाती है। स्वामी जी ने कहा कि हमें अपनी पूजा नहीं बढाऩी हमें तो श्रद्धा बढाऩी है।

जब तक जानकारी नहीं होगी, तब तक श्रद्धा भी नहीं बढ़ेगी। इसलिए परमात्मा की प्रीति के लिए प्रश्न जरूरी है, परन्तु प्रश्न करने से पहले ध्यान दें की हम प्रश्न किससे कर रहे है और प्रश्न कहां कर रहे हैं। दूसरी बात हम जिनसे प्रश्न करते हैं, उनके प्रती आदर भाव आवश्यक है। स्वामी जी ने कहा कि माघ पूर्णिमा का शास्त्रों में बहुत महत्व बताया गया है। पूर्णिमा पर पवित्र स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा ग्रह दोष से जुड़ी सभी कठिनाइयां दूर हो जाती हैं और माघ पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का काफी महत्व होता है।