63 वर्ष के हुये अनु मलिक

मलिक का मूल नाम अनवर मलिक का जन्म दो नवबंर 1960 को हुआ

63 वर्ष के हुये अनु मलिक

मुबई:  बॉलीवुड के जानेमाने संगीतकार-गायक अनु मलिक आज 63 वर्ष के हो गये।

अनु मलिक का मूल नाम अनवर मलिक का जन्म दो नवबंर 1960 को हुआ था। उनके पिता सरदार मलिक फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने संगीतकार थे। बचपन के दिनों से अनु मलिक का रूझान संगीत की ओर थी और वह संगीतकार बनने का सपना देखने लगे। उनके पिता ने संगीत के प्रति बढ़ते रूझान को पहचान लिया और उन्हें इस राह में चलने के लिये प्रेरित किया। अनु मलिक ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा पंडित राम प्रसाद शर्मा से हासिल की।

बतौर संगीतकार अनु मलिक ने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म ‘हंटरवाली’ से की लेकिन फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह से नकार दी गयी। सरदार मलिक के पुत्र होने के बावजूद अनु मलिक फिल्म इंडस्ट्री में काम पाने के लिये संघर्ष करते रहे। आश्वासन तो सभी देते थे लेकिन उन्हें काम करने का अवसर नही मिला। वर्ष 1981 में अनु मल्लिक को निर्देशक हरमेश मल्होत्रा की फिल्म ‘पूनम’ में संगीत देने का मौका मिला। पूनम ढिल्लो और राज बब्बर की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म भी टिकट खिड़की पर बुरी तरह पिट गयी ।

अनु मलिक फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिये संघर्ष करते रहे। इस दौरान उन्होंने आपस की बात, एक जान है हम, मंगल पांडे, आसमान, राम तेरे देश में जैसी फिल्मों में भी संगीत दिया लेकिन सारी फिल्में टिकट खिड़की पर बुरी तरह से विफल साबित हुयीं। वर्ष 1985 में प्रदर्शित फिल्म ‘मर्द’ में अनु मलिक को संगीत देने का अवसर मिला। मनमोहन देसाई के बैनर तले बनी इस फिल्म में सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में अनु मलिक के संगीतबद्ध गीत ..मर्द तांगे वाला मैं हूँ मर्द तांगेवाला.. ...सुन रूबिया तुमसे प्यार हो गया.. ...ओ मां शेरो वाली ... श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुए। फिल्म और गीत की सफलता के बाद अनु मलिक बतौर संगीतकार फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कुछ हद तक कामयाब हो गये।

वर्ष 1988 अनु मलिक के सिने करियर का अहम वर्ष साबित हुआ । इस वर्ष उनकी ‘गंगा जमुना सरस्वती’ और ‘जीते हैं शान से’ जैसी फिल्में प्रदर्शित हुयी जिनका संगीत श्रोताओं के बीच पसंद किया गया। अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म गंगा जमुना सरस्वती यूं तो टिकट खिड़की पर कामयाब नही हो सकी लेकिन फिल्म के गीत ..साजन मेरा उस पार है ..श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। मिथुन चक्रवर्ती और संजय दत्त की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ..जीते है शान से.. में अनु मलिक ने संगीत निर्देशन के साथ ही कुछ गाने भी गाये थे। उनकी आवाज में रचा बसा यह गीत ..जूली जूली जॉनी का दिल तुझपे आया जूली ..और सलाम सेठ सलाम सेठ ..श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ।

अनु मलिक की किस्मत का सितारा वर्ष 1993 में प्रदर्शित फिल्म ‘बाजीगर’ से चमका। अब्बास मस्तान के निर्देशन में बनी इस फिल्म में शाहरूख खान और काजोल ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म में अनु मलिक के संगीतबद्ध गीत ..ये काली काली आंखे ..बाजीगर ओ बाजीगर.. ...ऐ मेरे हमसफर ... श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुये। इसी वर्ष अनु मलिक की फिर तेरी कहानी याद आयी,सर जैसी फिल्में भी प्रदर्शित हुयी जिनका संगीत श्रोताओं के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ।

इस बीच अनु मलिक पर आरोप लगने लगे कि उनकी बनायी गयी धुने विदेशी फिल्मों के गीतो से प्रेरित है। वर्ष 1997 में जे.पी दत्ता के निर्देशन में बनी फिल्म ‘बार्डर’ में अपने संगीतबद्ध गीत ...संदेशे आते है हमे तड़पाते हैं... के जरिये अनु मलिक ने आलोचको को करारा जवाब दिया ।देश भक्ति की भावना से परिपूर्ण यह गीत आज भी श्रोताओ की आंखो को नम कर देता है।वर्ष 2000 में अनु मलिक को एक बार फिर से जे.पी.दत्ता के निर्देशित फिल्म ‘रिफ्यूजी’ में संगीत देने का मौका मिला। फिल्म में अभिषेक बच्चन और करीना कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई थी जिन्होंने इसी फिल्म से अपने करियर की शुरूआत की थी। फिल्म में अनु मल्लिक के संगीतबद्ध गीत श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुये साथ ही वह सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये। अनु मलिक को उनके करियर में दो बार सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। अनु मल्लिक आज भी पूरे जोशो खरोश के साथ फिल्मों में सक्रिय है।