सीपीएस नियुक्त मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त को होगी

नई सरकार की ओर से सीपीएस की नियुक्ति किए जाने पर उन्हें प्रतिवादी बनाए जाने के लिए आवेदन किया गया था। उसके बाद मंडी निवासी कल्पना देवी ने भी सीपीएस की नियुक्तियों को लेकर याचिका दायर की है।

सीपीएस नियुक्त मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त को होगी

शिमला - हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सरकार में नियुक्त किए गए छह सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाएं उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इस मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त को होगी।

नई सरकार की ओर से सीपीएस की नियुक्ति किए जाने पर उन्हें प्रतिवादी बनाए जाने के लिए आवेदन किया गया था। उसके बाद मंडी निवासी कल्पना देवी ने भी सीपीएस की नियुक्तियों को लेकर याचिका दायर की है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सतपाल सत्ती ने उप-मुख्यमंत्री समेत सीपीएस को चुनौती दी है। अदालत सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही है, लेकिन इन सीपीएस को जारी किए गए अदालती नोटिस की तामील नहीं हो रही।

अभी तक उप-मुख्यमंत्री समेत सिर्फ दो सीपीएस ने ही अदालत के नोटिस स्वीकार किए हैं। अर्की विधानसभा क्षेत्र से सीपीएस संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। सभी याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि पंजाब में भी ऐसी नियुक्तियां की गई थीं, जिन्हें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने इन नियुक्तियों को असांविधानिक ठहराया था।

वर्ष 2005 में उच्च न्यायालय ने सीपीएस की नियुक्तियों को असांविधानिक बताते हुए रद्द किया था। उसके बाद हिमाचल सरकार ने संसदीय सचिव अधिनियम, 2006 बनाया। सुप्रीम कोर्ट ने बिमोलंग्शु राय बनाम असम सरकार के मामले में 26 जुलाई, 2017 को असम संसदीय सचिव अधिनियम 2004 को असांविधानिक ठहराया था। इस फैसले के बाद मणिपुर सरकार ने संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन और भत्ते और विविध प्रावधान) अधिनियम, 2012 को वर्ष 2018 में संशोधित किया। वर्ष 2021 में उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर सरकार बनाम सूरजा कुमार ओकराम के मामले में इस अधिनियम को भी असांविधानिक करार दिया।