इंडिया के साथ हमारे संबंध स्थिर हैं : चीन

मगर जयशंकर ने बात काटते हुए संबंधों को असामान्य बता दिया है

इंडिया के साथ हमारे संबंध स्थिर हैं : चीन

नई दिल्ली। चीन के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि भारत और चीन की सीमा पर स्थिति ‘‘आमतौर पर स्थिर’’ है। लेकिन चीनी रक्षा मंत्रालय की बात को काटते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि सीमा प्रबंधन समझौतों के उल्लंघन के कारण चीन के साथ भारत के संबंध ‘असामान्य’ हैं। हम आपको बता दें कि यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब एक दिन पहले ही चीनी रक्षा मंत्री ली शांगफू एससीओ बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली आये हुए थे। अगले माह की शुरुआत में चीनी विदेश मंत्री एससीओ की बैठक में भाग लेने के लिए भारत आने वाले हैं। चीनी विदेश मंत्री मार्च की शुरुआत में भी भारत आये थे और तब उन्होंने जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया था। हम आपको बता दें कि भारत सरकार का रुख स्पष्ट है कि चीन को पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के मुद्दों को हल करना होगा और उसके बिना संबंध सामान्य नहीं हो सकते। हम आपको यह भी बता दें कि चीनी रक्षा मंत्री के साथ द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान भारतीय रक्षा मंत्री ने हाथ नहीं मिलाया था। यही नहीं जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक और एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान भारत ने चीन को एकदम खरी खरी सुनाते हुए हद में रहने की सख्त हिदायत भी दे डाली थी।

जहां तक भारत के साथ संबंधों पर आये चीनी बयान की बात है तो आपको बता दें कि चीनी रक्षा मंत्रालय का कहना है कि दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों में सीमा संबंधी मुद्दे को ‘‘उचित स्थान पर’’ रखना चाहिए तथा सीमा स्थिति के सामान्य प्रबंधन के रूप में बदलाव को प्रोत्साहित करना चाहिए। चीनी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में बताया है कि द्विपक्षीय बैठक में दोनों पक्षों ने सैन्य एवं द्विपक्षीय संबंधों पर विचार साझा किए। बयान के मुताबिक बैठक में चीनी रक्षा मंत्री जनरल ली ने कहा, ‘‘चीन-भारत सीमा पर इस समय स्थिति आम तौर पर सामान्य है और दोनों पक्षों ने सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से संवाद बरकरार रखा है।’’ जनरल ली ने राजनाथ सिंह से कहा, ‘‘ऐसी उम्मीद की जाती है कि दोनों पक्ष दोनों सेनाओं के बीच आपसी विश्वास को लगातार मजबूत करने और द्विपक्षीय संबंधों के विकास में उचित योगदान देने के लिए मिलकर काम करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि प्रमुख पड़ोसी देशों और महत्वपूर्ण विकासशील देशों के रूप में, चीन और भारत के बीच मतभेदों की तुलना में साझा हित कहीं अधिक हैं।

वहीं, राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले बाकी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी के बाद तनाव कम करने की दिशा में काम होना चाहिए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत और चीन के बीच संबंधों का विकास सीमाओं पर अमन-चैन की स्थिति पर आधारित है। इसी मुद्दे पर अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि विशिष्टता की मांग किए बिना सभी देशों के साथ उसके संबंध बढ़ते रहें। उन्होंने कहा कि हालांकि, चीन द्वारा सीमा प्रबंधन समझौतों का उल्लंघन किए जाने के परिणामस्वरूप बीजिंग के साथ भारत के ‘‘असामान्य’’ प्रकृति के संबंधों के कारण वह एक अलग श्रेणी में आता है। हम आपको बता दें कि डॉमिनिक गणराज्य की पहली आधिकारिक यात्रा पर सांतो डोमिंगो पहुंचे जयशंकर ने डिप्लोमैटिक स्कूल के युवाओं को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि भारत ने क्षेत्र में कनेक्टिविटी, संपर्क और सहयोग में नाटकीय विस्तार देखा है। उन्होंने कहा कि हालांकि, पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के कारण इसका अपवाद रहेगा। जयशंकर ने कहा, ‘‘चाहे अमेरिका, यूरोप, रूस या जापान हो, हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि ये सभी संबंध बिना विशिष्टता की मांग किए बढ़ें। उन्होंने कहा कि चीन हालांकि, सीमा विवाद और हमारे संबंधों की असामान्य प्रकृति के कारण अलग श्रेणी में आता है। यह उसके द्वारा सीमा प्रबंधन के संबंध में समझौतों के उल्लंघन का नतीजा है।