यूसीसी पर बोले सिंधिया, यह बीजेपी और संविधान का संकल्प

जो 70 साल में नहीं हो पाया वह अब हो रहा

यूसीसी पर बोले सिंधिया, यह बीजेपी और संविधान का संकल्प

नई दिल्ली : देश में समान नागरिक संहिता को लेकर बवाल मचा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश में एक कार्यक्रम के दौरान इसके चर्चा कर दी, तब से विपक्षी दल लगातार भाजपा और नरेंद्र मोदी पर हमलावर है। इन सब के बीच भाजपा साफ तौर पर कह रही है कि समान नागरिक संहिता हमारी पार्टी का संकल्प है और इसे हम हर हाल में पूरा करेंगे। इसको लेकर केंद्रीय मंत्री ’योतिरादित्य सिंधिया का भी बयान आया है। ’योतिरादित्य सिंधिया ने साफ तौर पर कहा है कि जो 70 सालों में नहीं हुआ, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सफल हो रहा है। 

सिंधिया का बयान

’योतिरादित्य सिंधिया ने अपने बयान में कहा कि हमारे देश में हर व्यक्ति 140 करोड़ जनता में एक समान है और एक समान है तो एक नीति सभी की होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये संकल्प बीजेपी की रही है और ये संकल्प संविधान में भी है। आज जो 70 साल में नहीं हो पाया...तीन तलाक को हटाने और जम्मू-कश्मीर में &70 को रद्द करने का और पूरे देश में एक समान नीति स्थापित करने का जो असंभव कार्य था उसे प्रधानमंत्री ने पूर्व में संभव किया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सभी से चर्चा करने के बाद यूसीसी भी हम लोग संभव करवाएंगे।  केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि भारत के कानून आयोग ने इसे सार्वजनिक डोमेन में डाल दिया है, 1& जुलाई आखिरी तारीख है, तब तक इंतजार करना चाहिए। 

मोदी ने क्या कहा था

नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की पुरजोर वकालत करते हुए सवाल किया कि ‘‘दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा?’’ उन्होंने साथ ही कहा कि संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार का उल्लेख है। उन्होंने कहा, ‘‘हम देख रहे हैं समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भडक़ाने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे के लिए दूसरा, तो क्या वह परिवार चल पाएगा। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? हमें याद रखना है कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है।’’ उन्होंने कहा, ये लोग (विपक्ष) हम पर आरोप लगाते हैं लेकिन हकीकत यह है कि वे मुसलमान, मुसलमान करते हैं। अगर वे वास्तव में मुसलमानों के हित में (काम) कर रहे होते, तो मुस्लिम परिवार शिक्षा और नौकरियों में पीछे नहीं होते।