आनंद मोहन की रिहाई पर सुशील मोदी ने खड़े किए सवाल

सरकार का फैसला असंवैधानिक, नीतीश ने अपने फायदे के लिए कानून में किया संशोधन

आनंद मोहन की रिहाई पर सुशील मोदी ने खड़े किए सवाल

नई दिल्ली : बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार में सियासी चर्चा तेज हो गई है। नीतीश सरकार के फैसले को लेकर भाजपा हमलावर हो गई है। पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई पर भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने सवाल खड़े किए हैं। सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 2016 में आपने (सीएम नीतीश कुमार) कानून में संशोधन किया और इसमें शामिल किया कि सरकारी अधिकारी की हत्या के दोषी पाए जाने वालों को कभी भी छूट का लाभ नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब अपने फायदे के लिए आपने फिर से कानून में संशोधन किया है ताकि आप चुनाव जीत सकें। भाजपा नेता ने साफ तौर पर कहा कि सरकार का फैसला असंवैधानिक है। 

सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यह फैसला लोगों और दलित समुदाय के खिलाफ है और चुनाव को ध्यान में रखकर लिया गया है। पूर्व सांसद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की 1994 में की गयी हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। आईएएस अधिकारी कृष्णैया वर्तमान तेलंगाना के महबूबनगर के थे। एक अदालत ने अक्टूबर, 2007 में मोहन को मृत्युदंड सुनाया था जिसे पटना उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2008 में उम्रकैद में बदल दिया था। निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी थी। नीतीश कुमार सरकार ने 10 अप्रैल को बिहार की जेल नियमावली में बदलाव किया और उन मामलों की सूची से ‘ड्यूटी पर तैनात जनसेवक की हत्या’ उपबंध को हटा दिया जिनमें जेल की सजा में माफी पर विचार नहीं किया जा सकता है।

आनंद मोहन ने अपनी रिहाई पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि वह और उनके समर्थक वर्षों से इस दिन का इंतजार कर रहे थे। जब पूर्व सांसद से पूछा गया कि भाजपा भी आपकी रिहाई की मांग करती रही है, तो ऐसे में किस पार्टी से राजनीतिक करियर का पार्ट-2 शुरू करेंगे। आनंद मोहन ने कहा कि मैं मरा नहीं हूं। जेल में ही था। इसलिए राजनीतिक सफर का अंत नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह के बेटे और राजद विधायक चेतन आनंद की सगाई समारोह में शामिल हुए। आज बिहार सरकार ने पूर्व लोकसभा सांसद आनंद मोहन सिंह समेत 27 कैदियों को जेल से रिहा करने के संबंध में अधिसूचना जारी की थी।