तुर्की ने भारत के साथ की रिश्तों की शुरूआत

पाकिस्तान की बढ़ गई चिंताएं, भारत की तरफ से राहत व बचाब कार्य जारी

तुर्की ने भारत के साथ की रिश्तों की शुरूआत

नई दिल्ली - तुर्की में भारत मदद पहुंचाने वाले अग्रणी देशों में एक है। उसने तुकी में अपने रिश्तों की शुरूआत कर ली है इन रिश्तों को अब तुुर्की भी समझने लगा है और इससे पहले तुकी भारत के खिलाफ पाकिस्तान का साथ दिया करता था। एक पाकिस्तानी विश्लेषक कह रहे हैं कि भारत इस मदद के जरिए तुर्की के साथ अपने रिश्तों को एक नई शुरुआत देने की कोशिश कर रहा है। तुर्की में आए भीषण भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है जिसमें भारत एक बड़ी भूमिका निभा रहा है. भारत ने तुर्की में ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत 6 विमानों से राहत सामग्री, 30 बिस्तरों वाला मोबाइल अस्पताल, मेडिकल सामग्री सहित सभी जरूरी सामान पहुंचाए हैं. भारत की एनडीआरएफ की दो टीमें, जिसमें एक डॉग स्क्वॉड भी शामिल है, तुर्की में बचाव कार्य में जुटी है. तुर्की ने भारत की तरफ से दी जा रही मदद के लिए उसका आभार जताते हुए उसे अपना सच्चा दोस्त कहा है।

तुर्की और भारत के रिश्ते पिछले कुछ दशकों में ठीक नहीं रहे हैं, लेकिन भारत मानवीय मदद में हमेशा से आगे रहा है.। भारत जोर-शोर से तुर्की की मदद में जुटा हुआ है। वहीं, पाकिस्तान खुद आर्थिक संकट में फंसा हुआ है, ऐसे में वह तुर्की की बहुत ज्यादा मदद नहीं कर पा रहा है। पाकिस्तानी विश्लेषकों को भारत और तुर्की की करीबी का डर सताने लगा है। पाकिस्तानी मीडिया में भी इसे लेकर खूब चर्चा हो रही है। पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है कि भारत इस आपदा को एक कूटनीतिक अवसर के तौर पर देख रहा है और मदद के जरिए अपने प्रति तुर्की के रुख को बदलने की कोशिश कर रहा है। भारत मदद के जरिए तुर्की को जता रहा है कि वो उसका हमदर्द है।

पाकिस्तान के करीब रहा है तुर्की

साल 2002 में जब राष्टपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन की पार्टी सत्ता में आई तब तुर्की खुद को मुस्लिम वर्ल्ड का नेता बनाने की कोशिश में जुट गया। इसी कोशिश में एर्दोगन ने मुस्लिम देशों के कश्मीर जैसे विवादित मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखना शुरू किया। एर्दोगन ने कई दफे पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ बात की।  2019 में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में एर्दोगन ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पिछले 72 सालों से कश्मीर के मुद्दे को सुलझाने में नाकाम रहा है। फरवरी 2020 में जब एर्दोगन पाकिस्तान पहुंचे थे तब उन्होंने पाकिस्तानी संसद में कश्मीर मुद्दे पर भारत को घेरा था। एर्दोगन ने कहा था कि कश्मीर पाकिस्तान के लिए जितना अहम है, तुर्की के लिए भी यह मुद्दा उतना ही अहम है। एर्दोगन ने कहा था, 'हमारे कश्मीरी भाई-बहन दशकों से पीड़ित हैं। हम कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ हैं। हमने इस मुद्दे को यूएन की आम सभा में भी उठाया था। कश्मीर के मुद्दे को युद्ध से नहीं हल किया जा सकता बल्कि इसे ईमानदारी और निष्पक्षता से ही सुलझाया जा सकता है। तुर्की इस काम में पाकिस्तान के साथ है।' उनके इस संबोधन पर पाकिस्तान की संसद तालियों से गूंज उठी थी।