बंगाल बजट में चुनावी प्रचार का प्रस्तावः सुवेंदु

इस बजट में दार्जिलिंग के पहाड़ियों की उपेक्षा की गई है, जंगलमहल की उपेक्षा की गई है

बंगाल बजट में चुनावी प्रचार का प्रस्तावः सुवेंदु

कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने गुरुवार को राज्य के 2024-25 के बजट प्रस्तावों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "यह बजट राज्य को आगे ले जाने की दिशा नहीं दिखा सका और इसे केवल लोकसभा चुनाव के चुनाव प्रचार के लिए बनाया गया है।" मीडिया को संबोधित करते हुए श्री अधिकारी ने कहा कि बजट प्रस्ताव, हालांकि अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के महीने से प्रभावी होंगे और संसदीय चुनावों की घोषणा के बाद निष्क्रिय हो जाएंगे, लेकिन इस में राज्य के बेरोजगार लोगों के लिए कोई नई नौकरी के अवसर नहीं दिखाए गए हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि सिविक वालंटियर्स पुलिस के समान ही काम करते हैं, 12 से 14 घंटे काम करते हैं, इसलिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मानना है कि समान काम के लिए समान वेतन होना चाहिए और न्यूनतम वेतन 20,000 रुपये प्रति माह होना चाहिए।

भाजपा नेता ने कहा, "इस बजट में दार्जिलिंग के पहाड़ियों की उपेक्षा की गई है, जंगलमहल की उपेक्षा की गई है, सुंदरवन की उपेक्षा की गई है, इस बजट में किसानों की पूरी तरह से उपेक्षा की गई है। हमें उम्मीद थी कि राज्य सरकार की कृषक बंधु योजना में 5,000 रुपये की जगह 10,000 रुपये किए जाएंगे। हमें उम्मीद थी कि उत्तर प्रदेश की तरह "पीएम किसान सम्मान निधि को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये तक किया जाएगा। इस सरकार ने किसानों के लिए इस बजट में कुछ भी प्रावधान नहीं किया है।"

उन्होंने कहा, " बजट में डीए प्रस्ताव का राजनीतिकरण करने की कोशिश की गई है। एक तरफ लाखों स्थायी पदों को खत्म करना, दूसरी तरफ कुछ विभागों में पांच लाख नौकरियां कब होंगी? इस बजट में उद्योग जगत की कोई दिशा नहीं है इस बजट में।" उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के लिए कोई घोषणा नहीं है। गोरखा, तमांग, भूटिया, राय, लेप्चा लोगों या कुर्मी समुदाय के लिए कोई वादा नहीं है।