प्राकृतिक कृषि से उत्पन्न उत्पाद लैबटेस्ट में 99 प्रतिशत कीटनाशकमुक्त साबित हुये

सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि प्राकृतिक कृषि पद्धति से उत्पन्न फसलों में लेशमात्र कीटनाशकों का प्रमाण नहीं होता है, अब यह बात वैज्ञानिक तौर से साबित हो गयी है

प्राकृतिक कृषि से उत्पन्न उत्पाद लैबटेस्ट में 99 प्रतिशत कीटनाशकमुक्त साबित हुये

गांधीनगर : मध्य गुजरात और दक्षिण गुजरात के विभिन्न प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के उत्पादों का नवसारी कृषि यूनिवर्सिटी में परीक्षण करवाया गया है, जिसमें 99 प्रतिशत सेम्पल पास हुये हैं। सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि प्राकृतिक कृषि पद्धति से उत्पन्न फसलों में लेशमात्र कीटनाशकों का प्रमाण नहीं होता है, अब यह बात वैज्ञानिक तौर से साबित हो गयी है। मध्य गुजरात और दक्षिण गुजरात के विभिन्न प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के उत्पादों का नवसारी कृषि युनिवर्सिटी में परीक्षण करवाया गया है, जिसमें 99 प्रतिशत सेम्पल पास हुये हैं। यह परिणाम किसान और खेतीबाड़ी अधिकारियों के लिये चालकबल समान बने हैं। नर्मदा जिले में से प्राकृतिक खेती करने वाले दो किसानों के सेम्पल भी इस परीक्षण में रसायनमुक्त पाये गये हैं। उन्होंने बताया कि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक कृषि का एक अभियान चलाया है और आज गुजरात के नौ लाख से ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं और उन्होंने रासायनिक खेती को तिलांजलि दे दी है। रासायनिक खेती का खर्च नहीं के बराबर आता है। गाय के गोबर, गौमूत्र, गुड़, बेसन जैसी घरेलू वस्तुओं से जीवामृत-घनजीवामृत तैयार हो जाते हैं और इनका खेती में प्रयोग करने से जहरीले कीटनाशक नहीं डालने पड़ते हैं। प्राकृतिक खेती से जहरमुक्त आहार उपलब्ध होता है। जमीन की उर्वरता बढ़ जाती है। वातावरण भी शुद्ध होता है और कम खर्च के कारण किसानों की आय बढ़ती है, जिससे वह समृद्ध हो रहे हैं।

मध्य और दक्षिण गुजरात के विभिन्न जिलों में प्राकृतिक कृषि के महाभियान में शामिल किसानों के नमूने गुजरात सरकार के आत्मा विभाग के माध्यम से नवसारी कृषि यूनिवर्सिटी की फूड क्वालिटी टेस्टिंग लेबोरेटरी में परीक्षण के लिये भेजे गये थे। पिछले एक सप्ताह में ही ऐसे 150 जितने उत्पाद, सब्जियों और फलों के सेम्पल एकत्र किये गये थे। इन नमूनों पर पेस्टीसाइड्स रेसिड्यू टेस्ट किये गये थे। केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित प्रणाली के मुताबिक यह टेस्ट किये गये। पेस्टीसाइड रेसिड्यू टेस्ट में खाद्य पदार्थों में 51 प्रकार के कीटनाशकों का प्रमाण है कि नहीं, इसकी जांच की जाती है। इन कीटनाशकों में एसीफेट, आल्ड्रीन, एनीलोफोस, बीएचसी में अल्फा, बीटा, डेल्टा और गामा, बायफ्रेन्थीन, डीआज़ीनोन, डीडीटी और उसके उप प्रकार, एडीफेन्फ्रॉस, एन्डोसल्फान, फिप्रोनिल, मोनोकोटोफोस सहित 51 पेस्टीसाइड की मौजूदगी की जांच की जाती है। एक नमूने को उचित प्रकार से पैक कर लेबोरेटरी लाया जाता है। बाद में विभिन्न स्तर पर उसकी वैज्ञानिक पद्धति से जांच की जाती है। इस परीक्षण को एक सप्ताह जितना समय लगता है। यह जानकारी उक्त लेबोरेटरी के हेड श्री सुशीलसिंह ने दी।

विभिन्न जिले के कृषि उत्पादों के परीक्षण के परिणाम आनंददायक हैं। 150 सेम्पल में से 99 प्रतिशत में उक्त 51 कीटनाशकों की लेशमात्र मौजूदगी नहीं पायी गई। इस परीक्षण के परिणाम में अंतर का प्रमाण 0.01 प्रतिशत है। इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि प्राकृतिक कृषि पद्धति से उत्पादित अनाज, सब्जियां और फल स्वास्थ्य के लिए एकदम अनुकूल हैं। इन उत्पादों में जहरीले रसायन नहीं होते हैं। एक प्रतिशत ऐसे सेम्पल थे जिनको प्राकृतिक कृषि शुरू किये एक ही वर्ष हुआ था। नर्मदा जिले के दो किसानों द्वारा प्राकृतिक कृषि पद्धति से उत्पादित उत्पाद भी कीटनाशकमुक्त साबित हुये हैं। इसमें डेडियापाडा तहसील- बेबार गांव के तारसिंहभाई वसावा की कृषि के कोदरा और तिलकवाडा तहसील- गमोड गांव के रिकेशभाई बारिया की खेती के मिर्च पावडर में एक प्रकार का रसायन पाया नहीं गया। इन दोनों प्राकृतिक कृषि करने वाले किसानों से उनके प्राकृतिक कृषि उत्पाद खरीदना योग्य है। तारसिंहभाई की जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन का प्रमाण 1.25 प्रतिशत है जबकि रिकेशभाई की जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन का प्रमाण 1.08 प्रतिशत है। पिछले वर्षों से प्राकृतिक कृषि करने के कारण उनकी जमीन की उर्वरता बढ़ी है।