गुजरात में प्राकृतिक खेती का बढ़ रहा दायरा एक क्रांति-देवव्रत

देवव्रत ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि गुजरात में आज 8.5 लाख से ज्यादा किसान प्राकृतिक कृषि की ओर लौटे हैं

गुजरात में प्राकृतिक खेती का बढ़ रहा दायरा एक क्रांति-देवव्रत

भुज : गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गुरूवार को कहा कि राज्य में प्राकृतिक खेती का बढ़ रहा दायरा एक क्रांति है। इस अवसर पर श्री  कच्छ की मुन्द्रा तहसील के नाना कपाया गांव में आज अदाणी फाउंडेशन आयोजित प्राकृतिक कृषि किसान परिसंवाद में किसानों के साथ संवाद करते हुए कहा कि देशभर में प्राकृतिक कृषि का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार युद्ध स्तर पर काम कर रही है। कच्छ में भारी संख्या में किसानों ने प्राकृतिक कृषि अपनायी है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि गुजरात में आज 8.5 लाख से ज्यादा किसान प्राकृतिक कृषि की ओर लौटे हैं। राज्य में प्राकृतिक खेती का बढ़ रहा दायरा एक क्रांति है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन है कि देशभर में किसान भारी तादाद में प्राकृतिक खेती करें और समृद्ध होकर देश को समृद्ध बनाने में सहभागी बनें। इस विजन को साकार करने के लिए गुजरात में 10-10 गांव के क्लस्टर बनाकर प्राकृतिक खेती की तालीम के लिए मास्टर ट्रेनर की नियुक्ति की गई है। सम्पूर्ण प्राकृतिक खेती के लक्ष्य को हासिल करने में महिलाएं स्वयंभू आगे आकर अभियान में शामिल हों। अडाणी फाउंडेशन एवं श्री राजशक्ति प्राकृतिक खेती सहकारी मंडली द्वारा आयोजित प्राकृतिक कृषि परिसंवाद में महिलाओं की भारी उपस्थिति को उन्होंने सराहाना की।
प्राकृतिक खेती के लाभ के विषय में उन्होंने मार्गदर्शन देते हुए उनके हरियाणा गुरुकुल क्षेत्र स्थित कृषि फार्म का वीडियो भी किसानों को दिखाया। प्राकृतिक कृषि करने से उत्पादन में कमी आती है, इस बात को मिथ्या करार देते हुए उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती कल्याणकारी है। प्राकृतिक खेती में किसानों को कभी आर्थिक नुकसान नहीं उठाना पड़ता है। पर्यावरण को प्राकृतिक खेती से लाभ होता है। मानव के स्वास्थ्यप्रद जीवन के लिए तो प्राकृतिक खेती वरदान है। प्राकृतिक नहीं बल्कि रासायनिक खेती से किसानों को आर्थिक नुकसान होता है और स्वास्थ्य भी खतरे में पड़ता है। बहुत ज्यादा रासायनिक खादों का उपयोग करने से आगे चलकर जमीन अनुत्पादक और बंजर हो जाती है। प्राकृतिक खेती आर्थिक तौर पर लाभदायक होती है। इस पर उन्होंने कहा कि किसान दृढ़ता से भरोसा करते हुए प्राकृतिक खेती करें।
राज्यपाल ने देशी गाय आधारित प्राकृतिक खेती कैसे की जानी चाहिए, इसे लेकर विस्तृत मार्गदर्शन दिया। जीवामृत- घनजीवामृत तैयार करने की विधि और उसके उपयोग के बारे में उन्होंने समग्र जानकारी दी। अदाणी फाउंडेशन और श्री राजशक्ति प्राकृतिक खेती सहकारी मंडली के कामकाज की सराहना करते हुए उन्होंने अभिनन्दन दिया और प्राकृतिक खेती को जन आन्दोलन बनाकर आगे बढ़ने का किसानों से अनुरोध किया। उन्होंने इस अवसर पर कच्छ जिले के प्राकृतिक खेती में विशिष्ठ उपलब्धियां हासिल करके अन्य को प्रेरणा देने वाले किसानों को सम्मान पत्र प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया। प्राकृतिक खेती को गति मिले, इसके लिए प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों से खरीदी करने की उन्होंने सभी से अपील की है।
इस प्राकृतिक खेती परिसंवाद में पधारे राज्यपाल का कच्छी शॉल पहनाकर स्वागत किया गया। प्राकृतिक खेती में विशिष्ठ उपलब्धियां प्राप्त करने वाले किसानों ने अपने अनुभव उनसे साझा किए और मार्गदर्शन लिया। अडाणी फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक एवं भूतपूर्व प्रशासनिक अधिकारी वी.एस. गढवी ने कृषि परिसंवाद को ऐतिहासिक बतलाते हुए कहा कि राज्यपाल के मार्गदर्शन से कच्छ में प्राकृतिक कृषि अभियान को नया प्रेरक बल मिलेगा। अडाणी फाउंडेशन सी.एस.आर. हेड पंक्ति शाह ने कहा कि महत्तम किसान प्राकृतिक खेती के साथ जुड़ें, इस दिशा में फाउंडेशन कार्य कर रहा है। फाउंडेशन द्वारा प्राकृतिक खेती की तालीम और जल संचय के कार्य किए जा रहे हैं। कार्यक्रम में मांडवी-मुन्द्रा के विधायक अनिरुद्धभाई दवे, अदाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक रक्षितभाई शाह, कलक्टर अमितभाई अरोडा, जिला विकास अधिकारी शैलेश प्रजापति, मुन्द्रा प्रांत अधिकारी चेतन मिसण सहित मांडवी-मुन्द्रा क्षेत्र के किसान भारी संख्या में उपस्थित रहे।