आईटी विभाग में पांच हजार करोड़ का हुआ घोटाला

प्रवर्तन निदेशालय में दर्ज कराया जाएगा मामला : मीणा

आईटी विभाग में पांच हजार करोड़ का हुआ घोटाला

जयपुर : राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने बताया है कि राज्य में आईटी विभाग में करीब पांच हजार करोड़ के घोटाले के मामले को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने ले जाया जायेगा और इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मामले से संबंधित लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया जायेगा। श्री मीणा ने आज यहां प्रेसवार्ता में आईटी विभाग में करीब डेढ़ हजार करोड़ का और घोटला होने का आरोप लगाते हुए बताया कि उन्होंने पहले भी आईटी विभाग में करीब साढ़े तीन हजार करोड़ के घोटाले के बारे में बताया था और इन दोनों को मिलाकर करीब पांच हजार करोड़ के घोटाले के मामले को लेकर बुधवार को शिकायताकर्ता के साथ जाकर इस संबंध में ईडी में एफआईआर दर्ज कराई जायेगी।

उन्होंने बताया कि गुरुवार दोपहर में ईडी दफ्तर जाकर इस संबंध में मामला दर्ज कराया जायेगा। अगर मामला दर्ज नहीं होता है तो वहीं धरना शुरु कर दिया जायेगा। मीणा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आईटी विभाग का जिम्मा भी मुख्यमंत्री के पास हैं और आईटी विभाग में इस गड़बड़ी की जांच के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने इस संबंध में जांच की अनुमति मांगी थी लेकिन मुख्यमंत्री जो गृह मंत्री भी है, अनुमति नहीं दी गई। इसलिए इसकी भी जांच होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सीएमओ एवं सीएमआर में आईटी का काम संभाल रहे एवं राजकॉम के मैनेजर राजेश सैनी ने करोड़ों रुपए का फर्जी भुगतान उठाया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को राजनीतिक भाषा नहीं बोलना चाहिए और भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहिए। श्री मीणा ने कहा कि एक साल पहले भी रीट घोटाले को लेकर मामले को ईडी के पास ले जाया गया था और उसी का परिणाम है कि आज ईडी राजस्थान में जगह जगह कार्यवाही कर रही है।

उन्होंने वाईफाई घोटाले के बारे में बताते हुए कहा कि राजस्थान भर में 22 हजार 500 वाईफाई लगाये जाने थे लेकिन गत वर्ष मई तक केवल 5770 वाईफाई ही लगाये गये। उन्होंने बताया कि इसके लिए शुरु में 160 करोड़ के टेंडर थे लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 235 करोड़ कर दिया गया। एक वाईफाई की कीमत 13 लाख रुपए और इसके लिए 60 प्रतिशत एडवांस भुगतान कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि आइटम का कोई सरकार की तरफ से वेरिफाई नहीं किया गया और वेंडर की वेरिफाई पर ही भुगतान कर दिया गया जो एक घोटाला है। उन्होंने दूसरा घोटाला मैन पावर का बताया। जिसमें प्रत्येक महीने चार लाख रुपए का भुगतान किया गया लेकिन उसमें यह नहीं बताया गया कि कितने आदमी लगाये गये।