भारत की पहली ओलम्पिक बॉक्सर ने भारत को किया गौरवान्वित

मैरी कॉम ने ऐसे शुरू किया था अपना करियर, जीवनी पर बनी है फिल्म

भारत की पहली ओलम्पिक बॉक्सर ने भारत को किया गौरवान्वित

नई दिल्ली- भारत की ऐसी महिला खिलाड़ी जिसने अपने शानदार प्रदर्शन से कई बार देश का नाम रोशन किया। उनके जीवन पर फिल्म भी बनाई जा चुकी है। उनका नाम है मैरी कॉम। बता दें कि शायद ही ऐसी कोई उपलब्धि हो जिसे मैरी कॉम हासिल करने से चुकी हो। यह भारत की अकेली महिला बॉक्सर हैं। मैरी को आज पूरी दुनिया जानती है। लेकिन इनका यह सफर इतना भी आसान नहीं था। अपनी जिंदगी में मैरी कॉम ने बहुत से उतार चढ़ाव देखे। लेकिन हालात कितने भी विपरीत क्यों न हों मैरी कॉम ने कभी हार नहीं मानी और पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाया। आज ही के दिन यानि की 1 मार्च को इनका जन्म हुआ था। आइए जानते हैं मैरी कॉम के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें। 

कहा हुई जन्म और शिक्षा

मैरी कॉम का जन्म 1 मार्च 1983 में मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में एक गरीब किसान के परिवार में हुआ था। यह चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। यह छोटी उम्र से ही अपने माता-पिता का हाथ बंटाने के अलावा अपने भाई-बहनों का ध्यान रखती थीं। घर की माली हालत खराब होने का प्रभाव मैरी कॉम ने अपनी शिक्षा पर नहीं पडऩे दिया। मैरी ने अपनी पढ़ाई इम्फाल के एनआईओएस से पूरी की और इसके बाद वह इम्फाल के चुराचांदपुर कॉलेज से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया। 

कैसे की करियर की शुरूआज

मैरी ने बॉक्सिंग की शुरूआत महज 18 साल की उम्र से शुरू कर दी थी। बॉक्सिंग को करियर बनाने के लिए इन्होंने कड़ी मेहनत की। मैरी को बचपन से ही खेल-कूद का काफी शौक रहा। लेकिन वह कभी भी बॉक्सिंग में हिस्सा नहीं लेती थीं। साल 1998 में मणिपुर के बॉक्सर डिंग्को सिंह ने एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था। उनकी इस जीत को पूरे मणिपुर ने मनाया था। डिंगको को बॉक्सिंग करते देख मैरी उनसे इतना प्रभावित हुईं कि उन्होंने बॉक्सिंग में अपना करियर बनाने की ठान ली। लेकिन इसके लिए मैरी को अपने परिवार वालों को मनाना एक बड़ी चुनौती थी।

लक्ष्य चुन हासिल की बॉक्सिंग ट्रेनिंग

मैरी ने भी ठान लिया था कि वह भी एक दिन अपने लक्ष्य को जरूर हासिल करेंगी। इसलिए उन्होंने अपने माता पिता को बिना बताए ट्रेनिंग शुरू कर दी। एक दिन खुमान लम्पक स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में मैरी ने लड़कियों को लडक़ों से बॉक्सिंग करते देखा। तब उनका यह सपना और ज्यादा परिपक्व हो गया। बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेने के लिए मैरी इम्फाल गईं और मणिपुर के कोच एम नरजीत सिंह से ट्रेनिंग लेना शुरु कर दिया। वह अपने लक्ष्य को लेकर इतनी पक्की थीं कि जब रात को सब चले जाते थे तो भी मैरी प्रैक्टिस करती रहती थीं। 

वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशिप

मैरी ने साल 1998 से लेकर 2000 तक अपने परिवार वालों से छिपाकर बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेती रहीं। जब साल 2000 में मणिपुर से वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में जीत हासिल की और उन्हें बॉक्सर का अवॉर्ड मिला। इस जीत के बाद हर अखबार में उनकी यह जीत छिपी। तब जाकर उनके परिवार को मैरी के बॉक्सर होने का पता चला। इसके बाद मैरी के परिवार वालों ने इस जीत को सेलिब्रेट किया। परिवार का सहयोग मिलने के बाद मैरी और उत्साह से अपने करियर पर ध्यान देने लगी। फिर पश्चिम बंगाल में आयोजित ‘वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप’ में गोल्ड मैडल जीतकर उन्होंने अपने राज्य का नाम रोशन हुआ। मैरीकॉम ने साल 2001 में इंटरनेशनल लेवल पर अपने करियर की शुरूआत की। इसके बाद मैरी कॉम ने कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा।

मैरी कॉम पर फिल्म और किताब

बता दें कि मैरी कॉम के प्रेरणादायक जीवन पर साल 2013 में  किताब अनब्रेकेबल प्रकाशित की गई। इसके अलावा उनके जीवन पर मैरी कॉम फिल्म बनाई गई थी। इस फिल्म में अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने उनके किरदार को जीवंत कर दिया।