हाथरस कांड में एक दोषी, 3 बरी

कोर्ट दोपहर बाद सुना सकती है सजा, पीडि़ता के वकील बोले-हाईकोर्ट जाएंगे

हाथरस कांड में एक दोषी, 3 बरी

हाथरस- हाथरस कांड में गुरुवार को ढाई साल बाद एससी-एसटी कोर्ट ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 4 आरोपियों में से सिर्फ एक संदीप ठाकुर को दोषी माना है। जबकि 3 आरोपियों लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह को बरी कर दिया। अदालत ने संदीप को गैर इरादतन हत्या ( धारा-304) और एससी/एसटी एक्ट में दोषी माना है। संदीप को दोपहर बाद कोर्ट में सजा सुनाई जा सकती है। 4 आरोपियों में से किसी पर भी गैंगरेप का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। वहीं, पीडि़त पक्ष के वकील ने कहा है, वह कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे। इससे पहले, गुरुवार सुबह चारों आरोपियों को पेशी पर कोर्ट लाया गया था। फैसले को देखते हुए कोर्ट में भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया था।

ढाई साल पहले हुआ था हाथरस कांड

मामला हाथरस के चंदपा क्षेत्र के एक गांव का है। 14 सितंबर 2020 को दलित युवती के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया था। आरोप गांव के ही चार युवकों पर लगा था। पीडि़ता की बेरहमी से जीभ काट दी गई थी। युवती के भाई ने गांव के ही संदीप ठाकुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में युवती के बयान के आधार पर 26 सितंबर को तीन अन्य लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह को भी आरोपी बनाया गया। चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

29 सितंबर को युवती ने तोड़ा दम

युवती को गंभीर हालत में बागला जिला संयुक्त चिकित्सालय लाया गया। इसके बाद उसे अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। उसे 28 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया। जहां 29 सितंबर को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। जब शव हाथरस लाया गया, तो पुलिस ने बिना परिजन की अनुमति के उसी रात शव का अंतिम संस्कार कर दिया था। इस घटना के फोटो और वीडियो वायरल हुए तो जगह-जगह विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। मामला बढऩे पर प्रदेश सरकार ने में एसपी और सीओ सहित पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद 11 अक्टूबर को मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। प्रदेश सरकार की सिफारिश के बाद सीबीआई ने केस टेकओवर किया। सीबीआई ने इस मामले में 104 लोगों को गवाह बनाया। इनमें से 35 लोगों की गवाही हुई थी। 67 दिन की जांच के बाद सीबीआई ने 18 दिसंबर 2020 को चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी।

परिवार लड़ रहा न्याय की लड़ाई

फैसले से पहले पीडि़त पक्ष की वकील सीमा कुशवाह ने कहा, लगभग ढाई साल से पीडि़ता का परिवार न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहा है। यहां तक कि परिवार ने अपनी बेटी की अस्थियां अभी तक संभालकर रखी हुई हैं। वे कहते हैं कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा। वे अस्थियों का विसर्जन नहीं करेंगे। जिस दिन न्याय मिलेगा, उस दिन बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी। घटना के बाद इस मामले में परिवार को 25 लाख रुपए मुआवजा देने का ऐलान किया गया था। कनिष्ठ सहायक पद पर परिवार के एक सदस्य को नौकरी और हाथरस शहर में ही एक घर के आवंटन की घोषणा भी की गई थी, लेकिन ये वादे आज तक पूरे नहीं हुए। पीडि़त परिवार लगातार संघर्ष कर रहा है। परिवार हर जगह सुरक्षा के साथ ही जाता है। सब्जी लेनी हो, रिश्तेदार के यहां जाना हो, सीआरपीएफ के जवानों की सुरक्षा में परिवार जी रहा है। रसूखों वाले लोगों का अभी भी भय है। परिवार का कोई भी सदस्य नौकरी नहीं कर पा रहा है। बच्चियों की नौकरी तक छूट गई है। मुझे पूरी उम्मीद है कि बेटी के साथ गैंगरेप के आरोपियों को कोर्ट सख्त से सख्त सजा देगा। दोषियों को सजा मिलने पर ही पीडि़त परिवार को न्याय मिलेगा। आज अगर कोर्ट का फैसला गैंगरेप पीडि़ता के पक्ष में आया तो निश्चित ही देश की महिलाओं के लिए बड़ा मैसेज जाएगा। हमारी घर की बहु बेटियां खेतों में काम करते हुए भी सुरक्षित नहीं हैं। पर ये फैसला आने के बाद उन्हें हमारी न्याय पालिका पर भरोसा होगा।