न्यूज़क्लिक के 30 ठिकानों पर हुई छापेमारी

अपराध की जांच के लिए सफाई देने की जरुरत नहीं : अनुराग ठाकुर

न्यूज़क्लिक के 30 ठिकानों पर हुई छापेमारी

नई दिल्ली : कड़े आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत 17 अगस्त को दर्ज एक मामले के आधार पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा दिल्ली और पड़ोसी इलाकों नोएडा और गाजियाबाद में 30 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की गई। छापेमारी के दौरान, पुलिस ने लैपटॉप और मोबाइल फोन सहित इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जब्त किए और हार्ड डिस्क के डेटा डंप लिए। तलाशी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा साझा किए गए इनपुट पर आधारित थी, जो संदिग्धों द्वारा कथित गैरकानूनी गतिविधियों का संकेत देती है। अधिकारियों ने कहा कि कुछ पत्रकारों को लोधी रोड स्पेशल सेल कार्यालय लाया गया, लेकिन अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

छापेमारी के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘मुझे इसे उचित ठहराने की जरूरत नहीं है... अगर किसी ने कुछ भी गलत किया है, तो जांच एजेंसियां निर्धारित दिशानिर्देशों के तहत उनके खिलाफ जांच करने के लिए स्वतंत्र हैं।’ प्रवर्तन निदेशालय की एक जांच में तीन साल की छोटी अवधि के दौरान 38.05 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी वाली विदेशी धनराशि का खुलासा हुआ था। जांच एजेंसी द्वारा साक्ष्यों की जांच से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के माध्यम से 9.59 करोड़ रुपये और सेवाओं के निर्यात के माध्यम से 28.46 करोड़ रुपये के संदिग्ध विदेशी आवक प्रेषण का पता चला। प्राप्त धनराशि कथित तौर पर गौतम नवलखा और मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड के सहयोगियों सहित कई विवादास्पद पत्रकारों को वितरित की गई थी।न्यूज़क्लिक के चीन लिंक के बारे में विवरण भी जांच एजेंसी द्वारा दिल्ली पुलिस के साथ साझा किया गया था। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने एक्स पर कहा कि वह न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों और लेखकों के घरों पर छापेमारी को लेकर बेहद चिंतित है। न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों और लेखकों के घरों पर की गई कई छापेमारी से प्रेस क्लब ऑफ इंडिया काफी चिंतित है। हम घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं और एक विस्तृत बयान जारी करेंगे।

इसमें कहा गया है, ‘पीसीआई पत्रकारों के साथ एकजुटता से खड़ी है और सरकार से विवरण सामने लाने की मांग करती है।’ एक सरकारी सूत्र के मुताबिक, ''यह भारत की संप्रभुता के बारे में है न कि अभिव्यक्ति की आजादी के बारे में। द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक जांच में यह भी बताया गया था कि भारतीय समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक चीनी प्रचार को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम से जुड़े नेटवर्क द्वारा वित्त पोषित संगठनों में से एक है। चीन द्वारा न्यूज़क्लिक फंडिंग को ‘भारत की संप्रभुता पर हमला’ बताते हुए सूत्र ने आगे कहा, ‘फंड के रूटिंग और ट्रांसफर का तरीका स्पष्ट रूप से इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की ओर इशारा करता है। बड़ी मात्रा में धनराशि इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्थानांतरित की गई है और सिस्टम में आगे भेज दी गई है। चीनी प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए तथाकथित पत्रकार को भुगतान किया गया है। इस स्तर पर सबूतों को सुरक्षित करना और मामले की तह तक जाना महत्वपूर्ण है।’