स्वामी दयानंद ने सामाजिक कुरीतियों, पाखंड और आडंबरों का घोर विरोध किया- आचार्य धर्मपाल आर्य

आर्य समाज के वार्षिक समारोह में भजनोपदेशक मंडली द्वारा भजनों के माध्यम से लोगों का मनोरंजन

स्वामी दयानंद ने सामाजिक कुरीतियों, पाखंड और आडंबरों का घोर विरोध किया- आचार्य धर्मपाल आर्य

बाबैन - आर्य समाज सभा रामसरन माजरा के स्थापना के 107वें वार्षिक वेद प्रचार समारोह के उपलक्ष्य में आर्य समाज के अनेक विद्वानों द्वारा व्याख्यान देने का कार्यक्रम धूमधाम से जारी है। इस अवसर पर  अपने ओजस्वी व प्रभावशाली भाषण मे आर्य समाज के महान विद्वान आचार्य धर्मपाल आर्य ने आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती के जीवन चरित्र का पूरा विवरण श्रोताओं के समक्ष रखने के अलावा वेदों पर आधारित ज्ञान लोगों को सुना कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

धर्मपाल आर्य ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपना सारा जीवन समाज में फैली कुरीतियों, पाखंडों, आडम्बर का घोर खण्डन और विरोध करने में लगाया जिसके कारण उन्हें अपने जीवन में अनेक कठिनाईयों का सामना भी करना पड़ा। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद जी ने भारतीय समाज में फैली अशिक्षा, विदेशी गुलामी, विधवाओं पर होने वाले अत्याचारों, उच्च समाज द्वारा शोषित वर्ग का शोषण, छूत-छात, अत्याचार, पुनर्विवाह, सती प्रथा जैसी अनेक कुरीतियों को दुर करने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद जी की प्रेरणा से ही देश में गुरुकुल खोले गए जिनमें भारतीय सभ्यता व संस्कृति, संस्कारों व नैतिक शिक्षा पर आधारित शिक्षा प्रदान की गई।


इस अवसर पर आर्य समाज के महान विद्वान व भजनोपदेशक प्रताप ङ्क्षसह आर्य, हरीष आर्य पेहवा, स्वामी आनंद मुनि जी, आर्य पवन चुहड माजरा द्वारा विद्वत्तापूर्ण व्याख्यान देने के अलावा आर्य समाज के भजनोपदेशक द्वारा ज्ञानवर्धक गीतों से लोगों का मनोरंजन किया गया। इस कार्यक्रम के सफल संचालन में सभा के प्रधान दर्शन लाल, महामन्त्री सुनील आर्य, ऋषि पाल, कैपटन कृष्ण लाल सैनी, कौशल सैनी, अभिषेक आर्य, राजेश आर्य, दिनेश आर्य, कलिक आर्य, राहुल आर्य के अलावा सभी ग्रामीणों ने अपना भरपूर सहयोग दिया।