जाते जाते हम तो वतन की शान बढ़ा जाएंगे... LOC पर शहीद हुए BSF जवान के हौंसले थे बुलंद, मरते-मरते बचाई अपने दर्जनों सैनिकों की जान
एक सैनिक बनना आसान नहीं। देश के लिए मर मिटना आसान नहीं। घर परिवार से दूर रहकर किसी दूसरे परिवार की सुरक्षा में जिंदगी गवा देना आसान नहीं।
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नयी दिल्ली: एक सैनिक बनना आसान नहीं। देश के लिए मर मिटना आसान नहीं। घर परिवार से दूर रहकर किसी दूसरे परिवार की सुरक्षा में जिंदगी गवा देना आसान नहीं। देश में बैठकर देश की बुराई करने वालों की भी रक्षा म में जान की बाजी लगा देना आसान नहीं.... लेकिन देश का असली रक्षक भारत का जवान ये काम करता है। बीएसएफ के जवान ने एक बार फिर से ये साबित कर दिया है कि भारत की सेना का स्तर क्या है। जम्मू में बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास पाकिस्तानी रेंजर्स की अकारण गोलीबारी में मारे गए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के हेड कांस्टेबल लाल फाम कीमा एक निडर सैनिक थे, जिन्होंने एक बार जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के करीब एक आतंकवादी रोधी अभियान के दौरान अपने दर्जनों साथियों की जान बचाई थी।जम्मू-कश्मीर में 1998 की सर्दियों में एक अभियान के दौरान गूल गांव में मिट्टी के घर के अंदर छिपे एक आतंकवादी को मार गिराने के लिए कीमा ने अपनी लाइट मशीन गन (एलएमजी) खाली कर दी थी और जोर-जोर से चिल्लाकर कहा था कि तुम साला पिन निकालेगा। उस अभियान को याद करते हुए कीमा के तत्कालीन कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) ने एक भावनात्मक पोस्ट लिखा, जिसे बीएसएफ के कई अधिकारियों ने सोशल मीडिया मंचों पर साझा किया।