हिमाचल विस में गूंजा स्टोन क्रेशर का मामला, विपक्ष ने किया वॉकआउट

हिमाचल विस में गूंजा स्टोन क्रेशर का मामला, विपक्ष ने किया वॉकआउट

तपोवन/धर्मशाला : हिमाचल प्रदेश में स्टोन क्रशरों के बंद होने का मुद्दा बुधवार को प्रश्नकाल में प्रमुखता से गुंजा और इस पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक देखने को मिली। इस मुद्दे पर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने सदन से बर्हिगमन किया। इससे पहले स्टोन क्रशरों को बंद करने के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के जवाब से विपक्ष ने नाखुशी जाहिर की। विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों के बीच सदन के नेता व मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्टोन क्रशरों को बंद करने की वजह सदन को बताई। करीब 30 मिनट तक इस मामले पर सदन में सवाल-जवाब का दौर चला। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने जैसे ही अगला सवाल पूछने की घोषणा की, तो विपक्षी सदस्य उखड़ गए और उन्होंने सरकार पर स्टोन क्रशर बंद करने की अधूरी जानकारी देने का आरोप लगाया। विपक्षी सदस्य अपनी सीटों पर खड़े होकर नारेबाजी करने लगे और बाद में उन्होंने सदन से बर्हिगमन कर दिया।

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सदन के अंदर विधानसभा सदस्य विपिन सिंह परमार ने प्रदेश में स्टोन क्रशर को लेकर सवाल उठाया। लेकिन इस पर जो जवाब सरकार की ओर से मुख्यमंत्री ने रखा वह हास्यसपद है। विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि पहले प्रदेश सरकार में हिमाचल में एक नई ही प्रथा शुरू कर दी है सब बंद कर दो। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहले स्टोन क्रशर बंद कर दिए और इसमें गड़बड़ियों की बात कही लेकिन जब इसको लेकर तथ्य मांगे गए तो सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। श्री ठाकुर ने कहा कि आने वाले समय में इसमें स्टोन क्रशर मामले में भी बड़ा घोटाला होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रश्न पैदा हो गए हैं स्टोन प्रेशर चालकों को बार-बार बुलाकर पूछा जा रहा है स्टोन क्रेशर खोलना है तो आओ बात करो।

पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि व्यास बेसिन में बरसात के दौरान 128 क्रशर बंद करने का फ़ैसला किया गया जिससे सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ है क्योंकि 15 सितंबर तक क्रशर बंद करना एक सामान्य प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि जहां तक रोड़ी व रेत के दाम बढ़ने का प्रश्न है तो सरकार रोड़ी रेत के दामों को निर्माण की कीमत से जोड़ने पर भी विचार कर रही है। इससे पूर्व सदस्य विपिन सिंह परमार व विक्रम ठाकुर ने सरकार द्वारा लिए गए फैसले को जनविरोधी बताया और कहा कि जहां सरकार द्वारा लिए गए निर्णय से जनता को महँगे दामों पर रोड़ी रेत खरीदने पड़े बल्कि 1600 लोगों ने रोजगार भी खोया। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने मूल सवाल के जवाब में कहा कि प्रदेश में भारी बारिश से हुए नुकसान को देखते हुए ब्यास बेसिन व इसकी सहायक नदियों के तटवर्ती क्षेत्रों में स्टोन क्रशर की जांच के लिए आठ सदस्यीय समिति गठित की गई है। उन्होंने कहा कि हर वर्ष बरसात के दौरान जुलाई से 15 सितम्बर तक नदी, नालों में खनन की अनुमति नहीं होती व खनन कार्य बंद रहता है।

वहीं पूर्व उद्योग मंत्री और भाजपा विधायक विक्रम सिंह ठाकुर ने कहा कि उनकी ओर से सदन में को स्टोन क्रेशर को लेकर सवाल उठाया गया था लेकिन सरकार किस की ओर से इस विषय पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। जिसके बाद सदन के अंदर इस प्रश्न पर सप्लीमेंट्री की मांग की गई। लेकिन विपक्ष की मांग के बावजूद अध्यक्ष की ओर से सप्लीमेंट्री पर मंजूरी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि गत 15 सितम्बर के बाद खनन गतिविधियों को पुनः बहाल किया गया था और मात्र स्टोन क्रशरों का संचालन ही बंद था। ऐसे में इस दौरान सरकार को किसी भी तरह के राजस्व का नुकसान नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि स्टोन क्रशरों में काम करने वाले ज्यादातर श्रमिक बाहरी राज्यों से सम्बंधित होते हैं, कुछ ही हिमाचली श्रमिक होते हैं और जैसे ही स्टोन क्रशरों का संचालन शुरू होगा, तो ये श्रमिक भी पुनः कार्यरत हो जाएंगे।