बंद ट्रेनें व टूटी सडक़े विधानसभा चुनावों में बनेगा मुख्य मुद्दा

हल्का मुलाना विधायक वरूण चौधरी भी टूटी सडक़ों व बंद ट्रेनों का मुद्दा विधानसभा में उठा चुके है। उसके बाद सरकार कुछ सचेत हुई तो एक-दो सडक़ों पर पत्थर डालने का काम शुरू किया गया लेकिन बाकी अधिकतर सडक़े ज्यों की त्यों पड़ी हुई है।

बंद ट्रेनें व टूटी सडक़े विधानसभा चुनावों में बनेगा मुख्य मुद्दा

बराड़ा-हल्का मुलाना में कई सालो से टूटी पड़ी सडक़ें व बंद पड़ी लोकल ट्रेनें आगामी विधानसभा चुनावों में मुख्य मुद्दा बनकर उभरेगा। आपको बता दे कि हल्का मुलाना की अधिकतर गांवों को आपस में जोडऩे वाली सडक़े पिछले लगभग कई सालों से टूटी पड़ी हुई हैै। इन टूटी सडक़ों से ग्रामीण काफी परेशान है।

हल्का मुलाना विधायक वरूण चौधरी भी टूटी सडक़ों व बंद ट्रेनों का मुद्दा विधानसभा में उठा चुके है। उसके बाद सरकार कुछ सचेत हुई तो एक-दो सडक़ों पर पत्थर डालने का काम शुरू किया गया लेकिन बाकी अधिकतर सडक़े ज्यों की त्यों पड़ी हुई है। अंदेशा जताया जा रहा है कि अगर विधानसभा चुनावों से पहले यह टूटी सडक़े नहीं बन पाई तो निशिचत रूप से यह विधानसभा चुनावों में बड़ा मु्दा बनेगी और बीजेपी को खासा नुकसान उठाना पड़ेगा।

दूसरी ओर कोरोना काल के बाद से ही बंद पड़ी ट्रेनें न चलने से भी ग्रामीण सरकार से खासे नाराज है। ट्रेनों को पुन: चलवाने के लिए ग्रामीण प्रदर्शन तक कर चुके है लेकिन समस्या ज्यों की त्यों है। ऐसे में तंदवाल, तंदवाली, सोहता, राऊमाजरा, घेलड़ी, दादुपूर, चहलमाजरा आदि कई गांवों के ग्रामीण सरकार से खफा है। जिसका खामियाजा सरकार को आगामी विधानसभा चुनावों में भुगतना पड़ सकता है। ट्रेनों को चलवाने के लिए ग्रामीण इलाके के लोग सताधारी पार्टी के नेताओं से लेकर सांसदों से मिलकर गुहार लगा चुके है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो सकी।

जिसका सीधा असर विधानसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है। ट्रेनों तो छोडि़ए बसों की सुविधा भी अभी पहले जैसी नहीं रही। जिससे ग्रामीण परेशान है। हलांकि अभी विधानसभा चुनावों में समय है लेकिन चुनाव लडऩे वाली पार्टियां अपनी तैयारियों में जुट चुकी है। आजकल चौंक-चौराहों पर यह चर्चा आम है कि हल्का मुलाना के यह दो मुख्य मु्द्दे विधानसभा चुनावों को प्रभावित जरूर करेगें।