नासा के वैज्ञानिक रहे योगेश्वर नाथ मिश्रा की बनेगीा बायोपिक

बड़े पर्दे पर नजर आएगी आजमगढ़ से नासा तक का सफर तय करने वाले महान युवा वैज्ञानिक की आत्मकथा

नासा के वैज्ञानिक रहे योगेश्वर नाथ मिश्रा की बनेगीा बायोपिक

आजमगढ़ : जिले के पैकौली गांव निवासी नासा के वैज्ञानिक रहे योगेश्वर नाथ मिश्रा की बायोपिक बनने जा रही है। योगेश्वर नाथ मिश्रा ने दुनिया की सबसे फास्ट लेजर शीट इमेजिंग टेक्नोलॉजी की खोज की है जिसकी मदद से आग की लपटों में मौजूद नैनोपार्टिकल्स की स्टडी में मदद मिल सकती है। फिल्म का एलान 26 जनवरी को किया जाएगा। इस सिलसिले में योगेश्वर बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर महेश भट्ट से मुलाकात कर चुके हैं।

योगेश्वर नाथ मिश्रा की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही अंबेडकर विद्यालय से हुई। योगेंद्र ने सठियांव इंटर कॉलेज से 10वी तक पढाई की और आगे की पढाई करने के लिए दिल्ली आ गए। दिल्ली में अशोक विहार स्थित गवर्नमेंट बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 12वीं तक पढाई करने के बाद उन्होंने कोचीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से स्नातक और आईआईटी खडग़पुर से एमटेक किया। आगे की पढ़ाई के लिए वह विदेश चले गए। अमेरिका में कुछ बरसों तक शोध करने के बाद स्वीडन में उन्होंने अपनी पीएचडी पूरी की है।

एक मीडिया रिपोर्ट में योगेश्वर नाथ मिश्रा ने बताया कि, ‘नवंबर 2019 में नासा गया और वहां रिसर्च शुरू किया, लेकिन फरवरी 2020 में कोविड आ गया और नासा की लैब बंद हो गई। मुझे वर्क फ्रॉम होम करना था। जहां मैं रहता था वहां से 10 मिनट की दूरी पर कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी है। वहां मुझे रिसर्च करने की अनुमति मिली और वहीं पर मैंने दुनिया की सबसे फास्ट लेजर शीट इमेजिंग टेक्नोलॉजी की खोज की है। इसकी मदद से रॉकेट की लपटों से निकलने वाले नैनोपार्टिकल्स की स्टडी में मदद मिलती है। फास्ट लेजर शीट इमेजिंग टेक्नोलॉजी एक ऐसी तकनीक है, जिसके माध्यम से एक सेकेण्ड में एक करोड़ तस्वीरें ली जा सकती हैं।’ 

साइंटिस्ट योगेश्वर नाथ मिश्रा की बायोपिक बनाने की योजना बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर महेश भट्ट व ड्रामा टॉकीज के राजीव मिश्रा बना रहे हैं। राजीव कहते हैं, ‘मैंने आईएएस अधिकारी गोविन्द जायसवाल की जिंदगी से प्रेरित फिल्म फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ में अभिनय किया था। इस फिल्म से मुझे बहुत प्रेरणा मिली। मुझे भी ऐसी कहानियों की तलाश थी जिसने अपनी जिंदगी में कुछ हासिल किया हो और ऐसी कहानियों से लोगों को प्रेरणा मिल सके। मैं खुद आजमगढ़ का रहने वाला हूं। मैंने योगेश्वर नाथ मिश्रा का संघर्ष और साइंटिस्ट बनने के सफर को बहुत ही करीब से देखा है। मुझे लगता है कि यह कहानी लोगों के बीच आनी चाहिए, ताकि लोगों को कुछ प्रेरणा मिल सके।’